अहमदाबाद। एक दुष्कर्म पीड़िता ने पति के लिए अपने छह माह (26 हफ्ते) के भ्रूण की हत्या की मंजूरी मांग रही है। इसके लिए उसने गुजरात हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। पीड़िता का दावा है कि यदि उसने इस बच्चे को जन्म दिया तो पति उसे घर से बाहर निकाल देगा। दलीलें सुनने के बाद जस्टिस जेबी परदीवाला ने दुष्कर्म पीड़िता के प्रति सहानुभूति जताई। उन्होंने कहा कि कोर्ट आपका दर्द समझ सकता है।
उन्होंने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने पैदा होने वाले बच्चे को अनाथालय में रखने की संभावनाओं सहित गुजरात सरकार से सुझाव देने को कहा है। गत 16 मार्च को रानपुर पुलिस थाने में दर्ज एफआईआर के अनुसार, जुलाई 2014 में पीड़िता का अपहरण किया गया। आरोपियों ने आठ महीने तक उसे अलग-अलग स्थानों पर बंधक बनाए रखा।
इस दौरान उसके साथ सात लोगों ने कई बार गैंगरेप किया। इससे वह गर्भवती हो गई। आरोपियों के चंगुल से छूटने के बाद उसने बोटाद की निचली अदालत में गर्भावस्था (24 हफ्ते) समाप्त करने की मंजूरी मांगी। मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट के तहत विशेष परिस्थितियों में सिर्फ 20 सप्ताह तक ही इसकी इजाजत है, इसलिए कोर्ट ने पीड़िता की अर्जी खारिज कर दी। अब पीड़िता ने हाई कोर्ट से निचली अदालत के फैसले को रद्द करने की गुहार लगाई है।