प्रसन्ना पर्पल की धमकी: सिटीबसें बंद करो नहीं तो लो-फ्लोर नहीं चलाएंगे

भोपाल। पीपीपी मोड की सबसे बड़ी परेशानी ही यह है। पहले कम कीमत पर अच्छी सुविधाओं का दावा करके कंपनियां सरकार से गठबंधन करतीं हैं, उसके बाद जब बाजार पर कब्जा होने लगता है तो ब्लेकमेलिंग शुरू कर देतीं हैं। भोपाल एवं इंदौर में लो-फ्लोर बसों का संचालन कर रही प्रसन्ना पर्पल ने भी यही शुरू कर दिया है। धमकी दी है कि यदि सिटी बसें और मैजिक बंद नहीं की गईं तो वो लो-फ्लोर बसों का संचालन बंद कर देंगे। कल तक गिडगिड़ाने वाली कंपनी आज अल्टीमेटम दे रही है।

प्रसन्ना पर्पल ग्रुप द्वारा भोपाल में 150 और इंदौर में 80 बसें दौड़ाई जा रही हैं। कंपनी द्वारा भोपाल की बीसीएलएल (भोपाल सिटी लिंक लिमिटेड) को पत्र लिखकर कहा गया है कि यदि समस्याओं का हल नहीं होता है, तो बसें बंद कर दी जाएंगी। वहीं इंदौर की एआईसीटीएसएल (अटल इंदौर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेस लिमिटेड) को पत्र लिखकर कहा गया है कि इंदौर में 1 मई तक का अल्टीमेटम दिया गया है।

थानेदार बन गई प्रसन्ना पर्पल
मजेदार तो यह है कि प्रसन्ना पर्पल खुद थानेदार बन गई और शहर का सर्वे कर डाला। अब इसी सर्वे को मान्यता देने के लिए अल्टीमेटम दिया जा रहा है। प्रसन्ना द्वारा हाल में किए गए सर्वे में बताया गया कि भोपाल की सड़कों पर 2200 ऐसे वाहन हैं, जो नियम विरुद्घ संचालित हो रहे हैं। इनमें मिनी बसें, मैजिक, आपे शामिल हैं। इनमें से कई ऐसे वाहन हैं जिनके ग्रामीण परमिट हैं लेकिन शहर में दौड़ रहे हैं। इसके अलावा बिना परमिट या परमिट किसी और रूट के संचालन किसी और रूट पर होता है। हालांकि यह विषय आरटीओ का है। जांच भी उसे ही करनी है और कार्रवाई भी। यदि प्रसन्ना पर्पल के सर्वे को सही मान लिया जाए तो प्रमाणित हो जाता है कि भोपाल का आरटीओ निकम्मा है या फिर घूसखोर।

लगातार घट रहे है यात्री
वर्ष 2010 से प्रसन्ना पर्पल कंपनी द्वारा भोपाल में 150 बसों का संचालन शुरू किया गया था। कंपनी अधिकारियों के अनुसार जुलाई 2013 तक रोजाना करीब 1 लाख यात्री सफर करते थे लेकिन अब लो फ्लोर बस में यात्रियों की संख्या 60 से 65 हजार रह गई। प्रसन्ना पर्पल का कहना है कि यह संख्या अवैध बसों के कारण घटी है जबकि असलियत यह है कि लो-फ्लोर बसें कंडम होती जा रहीं हैं। खटारा लो-फ्लोर बस में चलने के बजाए यात्री लो-फ्लोर सिटी बसों में जा रहे हैं, कम से कम किराया तो बच रहा है।

सब्सिडी के लिए दवाब
प्रसन्ना पर्पल का कहना है कि प्रदेश में सरकारी एजेंसियों के माध्यम से बस संचालित करने वाले बस ऑपरेटरों को किसी तरह की सबसिडी नहीं दी जाती। ऐसे में फायदा और नुकसान खुद ऑपरेटर को वहन करना पड़ता है। जबकि दूसरे प्रदेश में सबसिडी का प्रावधान है। कंपनी उस समय सब्सिडी का दवाब बना रही है जबकि देशभर में हर चीज पर सब्सिडी बंद की जा रही है।

यह रहा BCLL का जवाब
यह सही है भोपाल में अवैध वाहनों के कारण लो फ्लोर ऑपरेटरों को नुकसान हो रहा है। इस संबंध में ऑपरेटर द्वारा हमें पत्र भी लिखा गया है। हमने प्रशासन को अवगत करा दिया है। नुकसान के कारण अगर कोई ऑपरेटर बसों का संचालन बंद कर देता है तो अन्य विकल्प की तलाश करेंगे। लेकिन जनता की सुविधा के लिए खरीदी गई बसें बंद नहीं की जाएंगी।
चंद्रमौली शुक्ला, सीईओ, बीसीएलएल

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