भोपाल। व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) द्वारा आयोजित संविदा शाला शिक्षक वर्ग-3 परीक्षा-2011 घोटाले मामले में पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा उनके ओएसडी ओपी शुक्ला, वीरपाल सिंह यादव और अरुण यादव के खिलाफ पूरक चालान पेश किया गया।
एसटीएफ ने सोमवार को विशेष न्यायाधीश रामकुमार चौबे की अदालत में पेश 550 पन्नों के चालान में 73 गवाहों की सूची पेश की है। चालान में पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने स्वीकार किया है कि उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र के अभ्यर्थियों के नामों की सूची बनाकर उनके ओएसडी ओपी शुक्ला को सौंपी थी। शुक्ला ने यह सूची व्यापमं के अधिकारियों को दी थी। इस बात को ओपी शुक्ला ने भी अपने इकबालिया बयान में स्वीकार किया है।
पेश चालान में दलाल अरुण यादव ने बयान में स्वीकार किया है कि उसने वीरपाल सिंह यादव के माध्यम से राज्यपाल के बेटे शैलेष यादव को 9 अभ्यर्थियों के नामों की सूची सौंपी थी। इसके लिए उसने 9 लोगों से 10 लाख 80 हजार की राशि प्राप्त की थी जो उसने वीरपाल सिंह के माध्यम से शैलेष यादव को दी थी। वीरपाल सिंह ने भी अरुण यादव के बयानों का समर्थन किया है।
इससे पूर्व आरोपी लक्ष्मीकांत शर्मा, ओपी शुक्ला, वीरपाल सिंह , अरुण यादव को कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत में पेश किया गया था। अदालत ने 25 अप्रैल तक उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। गौरतलब है राज्यपाल रामनरेश यादव के बेटे शैलेष यादव का पिछले दिनों निधन हो चुका है।
नापतौल मामले में भरत मिश्रा के खिलाफ चालान पेश
नापतौल निरीक्षक भर्ती परीक्षा मामले में आरोपी आईजी सोनाली मिश्रा के भाई भरत मिश्रा के खिलाफ पूरक चालान पेश किया गया। एसटीएफ ने विशेष न्यायाधीश की अदालत में पेश 500 पन्नों के चालान में 8 गवाहों की सूची पेश की है।
चालान में व्यापमं के कम्प्यूटर एनालिस्ट नितिन महिंद्रा ने इकबालिया बयान में बताया है कि उसे भरत मिश्रा ने भानुप्रताप सिंह और शिशुवेन्द्र सिंह तोमर के प्रवेश पत्रों की फोटो कॉपी दी थी। मिश्रा ने अभ्यर्थियों को पास कराने के एवज में 2-2 लाख रुपए लिए थे। महिन्द्रा ने अपने बयान में नापतौल निरीक्षक परीक्षा में पूर्व कांग्रेस नेता संजीव सक्सेना, पंकज त्रिवेदी, चंद्रकांत मिश्रा, दलाल सोनू रघवंशी, दिलीप गुप्ता, अखिलेश चतुर्वेदी, संतोष गुप्ता सहित अन्य लोगों द्वारा पैसे लेकर अभ्यर्थियों के नामों की सूची देने की बात कही है। इन सूचियों के आधार पर व्यापमं के अधिकारियों द्वारा उन अभ्यर्थियों को पास कराया गया था। महिन्द्रा ने बताया है कि उसने अभ्यर्थियों को पास कराने के एवज में 59 लाख रुपए लिए थे, जिसमें से उसने 24 लाख रुपए पंकज त्रिवेदी को दिए जबकि 15 लाख रुपए खुद रख लिए थे। शेष रकम दलालों और व्यापमं के अधिकारियों में बांटी गई।