भोपाल। महिलाओं को बराबरी का हक देने जो घोषणा सीएम शिवराज सिंह चौहान ने की, वह पुलिस मुख्यालय को मंजूर नहीं है। मामला पुलिस भर्ती में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण का है, जिसे पीएचक्यू 20 प्रतिशत ही पर्याप्त मानता है।
हालांकि केंद्र ने राज्यों से सुरक्षा बलों में 33 प्रतिशत आरक्षण का सुझाव दिया है। मुख्यमंत्री चौहान ने नवंबर में घोषणा की थी कि पुलिस भर्ती में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा, लेकिन पीएचक्यू के आला अफसरों ने फंक्शन रिक्वायरमेंट (कार्य की आवश्यकताओं) का हवाला देते हुए इससे हाथ खड़े कर दिए थे और गृह विभाग को प्रस्ताव भेजकर कहा कि मैदानी अफसर भी मानते हैं कि 20 प्रतिशत से अधिक महिला आरक्षकों को आरक्षण देने से पूरा सिस्टम बिगड़ जाएगा, क्योंकि आरक्षक को मैदान में कहीं भी-कभी भी चुनौती के लिए तैयार रहना पड़ता है। ऐसे में महिलाओं को शुरुआत में 20 प्रतिशत आरक्षण देना चाहिए। गृह विभाग ने अंतिम निर्णय के लिए ये प्रस्ताव मुख्यमंत्री कार्यालय को भेज दिया है।
केन्द्र ने 33 फीसदी आरक्षण देने को कहा
केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर पुलिस बल में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र शासित राज्यों में इस आरक्षण को लागू किया जा चुका है। केन्द्र ने यह भी कहा है कि यदि राज्य सरकार पुलिस बल में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देती है तो इसके लिए केन्द्र सरकार इंसेटिव के रूप में कुछ पैसा भी देगी।
इन राज्यों में 30 प्रतिशत आरक्षण
देश में अभी ओड़िशा, राजस्थान, सिक्किम और महाराष्ट्र में पुलिस बल में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण है। वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने हाल ही में 35 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा की है।
अभी जरूरत नहीं
पुलिस में आरक्षक के पद पर महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण देने की अभी जरूरत नहीं है। हमने मैदानी फीड बैक के आधार पर 20 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव सरकार को भेजा है।
मिलिंद कानिस्कर, एडीजी चयन पुलिस मुख्यालय
समानता के लिए आरक्षण जरूरी
पुलिस में समानता के लिए 30 प्रतिशत महिला आरक्षण दिया जाना जरूरी है। इससे महिलाओं के खिलाफ तेजी से बढ़ रहे अपराधों पर भी अंकुश लगाने में सुविधा मिलेगी। हमारे देश में अभी भी पुरूष प्रधान की मानसिकता है, इसे खत्म करना आवश्यक है।
वीके पंवार, रिटायर्ड आईपीएस अफसर