ये है मोदी के सपनों का शहर

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गांधीनगर। भारत शहरी आबादी को बढ़ावा देने और निवेशकों को आकर्षित करने की पुरजोर कोशिश कर रहा है। इस कोशिश की एक मिसाल है गुजरात में साबरमती नदी के धूल भरे किनारे पर गांधीनगर। इस शहर जैसे दर्जनों और भी शहर हैं जिन्हें स्मार्ट सिटी में तब्दील करने की कोशिश की जा रही है। हालांकि इस शहर में स्मार्ट सिटी के नाम पर जो कुछ भी है वह है- मॉडर्न अंडरग्राउंड इंफ्रास्ट्रक्चर और दो ऑफिस ब्लॉक्स। इसके अलावा ज्यादा कुछ नहीं।

स्मार्ट सिटी के इस प्लान में बहुत सी चीजें शामिल हैं। जैसे- प्लानिंग के तहत बनाया गया अहमदाबाद, चमचमाते टावर, ड्रिंकिंग वॉटर के टैप, ऑटोमैटिक वेस्ट कलेक्शन और बिजली की सप्लाइ। ये सारी चीजें भारतीयों के लिए लग्जरी की तरह हैं। भारत में अभी 40 करोड़ की शहरी आबादी है जो 2050 तक 81.4 करोड़ के करीब पहुंच जाएगी। ऐसे में इंडिया मास-अर्बनाइजेशन के दौर से गुजर रहा है। इतने बड़े तौर पर शहरीकरण भारत से पहले सिर्फ चीन में देखा गया है।

मई 2015 में लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2022 तक देश में 100 स्मार्ट सिटीज बनाने का वादा किया था। इस योजना को पूरा करना करने के लिए लगभग एक खरब डॉलर का खर्च आएगा। यह प्लान ज्यादा अहम इसलिए भी है क्योंकि इसके जरिए पीएम मोदी निवेशकों को लुभाना चाहते हैं। इतना ही देश के युवाओं को रोजगार देने के नजरिए से भी यह प्लान महत्वपूर्ण है।

नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स के डायरेक्टर जगन शाह ने कहा, 'इस योजना को लागू करने में कई चुनौतियां हैं। हमारे पास एक्सपर्ट्स की कमी है जो इतने बड़े प्रॉजेक्ट्स का जिम्मा संभाल सकें।' शाह ने बताया कि अकेले स्मार्ट सिटीज के लिए सरकार ने 60 अरब रुपये की राशि मुहैया कराई है। भारत की मेट्रो सिटीज पर पहले से ही काफी दबाव है। मुंबई जैसा शहर ट्रैफिक, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, बुनियादी सुविधाओं और खराब इंफ्रास्ट्रक्चर की समस्या से जूझ रहा है। कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि सिर्फ नए शहर बनाने से भारत की बढ़ती शहरी आबादी का भला नहीं होगा।

कंसल्टेंसी मैकिंजी ऐंड कंपनी के डायरेक्टर शिरिष शांखे के मुताबिक,'भारत की शहरी आबादी की समस्याओं को सुलझाने के लिए हमें मौजूदा शहरों पर ध्यान देना होगा। नए शहर बनाने से सारी समस्याएं हल नहीं हो सकतीं।' भारत पहले भी प्लान्ड सिटीज बना चुका है। चंडीगढ़ को एक फ्रेंच ऑर्किटेक्ट ने डिजाइन किया था।

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