मप्र में पंचायत सचिवों की तबादला नीति

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भोपाल। पंचायत सचिवों के लिए तबादला नीति जून में आएगी और तबादले जुलाई में होंगे। इसमें ये प्रावधान रहेगा कि कोई भी पंचायत सचिव अपने गृह क्षेत्र में पदस्थ नहीं हो सकेगा। जिले के भीतर और बाहर होने वाले तबादलों के लिए प्रावधान रहेंगे। इस बार सचिवों के थोकबंद तबादले नहीं होंगे।

प्रदेश की 23 हजार पंचायतों में सचिव हैं। तीन साल पहले इनका जिला कैडर बनाया गया है। इसके बाद तीन साल से एक ही स्थान पर जमे और गृह क्षेत्र में पदस्थ सचिवों को ट्रांसफर किया गया था। पिछले दो साल से तबादले नहीं हुए हैं। कैबिनेट से राज्य की तबादला नीति का अनुमोदन होने के बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने तय किया है कि पंचायत सचिवों के लिए अलग तबादला नीति बनाई जाएगी। तबादले प्रशासनिक और स्वयं के व्यय के आधार पर होंगे।

अलग नीति क्यों:
पंचायत सचिव शासकीय कर्मचारी नहीं होते हैं। पंचायतीराज संस्थाओं का अमला होने से राज्य की तबादला नीति के दायरे में ये नहीं आते हैं। जिला कैडर बनाने के साथ ही नए सिरे से सेवा-शर्तें तय की गई हैं।

जून में नीति क्यों: ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मी के मौसम में विभिन्न् विभागों के मैदानी काम चलते हैं। इस दौरान ही ग्रामीणों को रोजगार की दरकार होती है, इसलिए मनरेगा आदि योजनाओं के काम जोर-शोर से चलते हैं। ये प्रभावित न हों, इसलिए जून में नीति लाकर जुलाई में तबादले किए जाएंगे।

राज्य नीति के हिसाब से बनाएंगे:
अपर मुख्य सचिव अरुणा शर्मा ने बताया कि विभाग अपनी अलग तबादला नीति बनाएगा। इसमें जिले के भीतर और बाहर होने वाले तबादलों के लिए प्रावधान रहेंगे। नीति जून तक लाएंगे और जुलाई में तबादले करेंगे।

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