दैनिक वेतन भोगियों में बटेंगे 1500 करोड़ | बचने के रास्ते तलाशती सरकार

भोपाल। मप्र की खाली खजाना सरकार के सर पर यह नया संकट है। दैनिक वेतन भोगियों के मामले में अकड़ी डटी मप्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में हार गई है अब उसे मप्र के सभी 44 हजार दैनिक वेतन भोगियों को बकाया वेतन भत्ते भी देने होंगे। करीब 1500 करोड़ रुपया दैनिक वेतन भोगियों में बंटेगा। सरकार इससे बचने के रास्ते तलाश रही है।

कानूनविद और सरकार के आला अफसर भी मान रहे हैं कि खजाने पर कितना ही बोझ क्यों ना आए, सभी को बकाए वेतन-भत्ते भी देना पड़ेगा। उनका मानना है कि इसका पालन कैसे किया जाएग, सुप्रीम कोर्ट को यह बताना भी होगा। कानूनविदों की मानें तो कोर्ट ने पीडब्ल्यूडी, पीएचई और जल संसाधन में 10 साल से कार्यरत दैनिक वेतन भोगियों को नियमित करने का फरमान सुनाया है, लेकिन इस आदेश का लाभ प्रदेश के लगभग 44 हजार दैनिक वेतन भोगियों को मिल सकता है, जिन्होंने अपनी 10 साल की सेवा पूरी कर ली हैे। ऐसे में सरकार के खजाने पर लगभग 1500 करोड़ से अधिक का भार आएगा। कारण कि अकेले तीन निर्माण विभागों के दैवेभो को नियमित करने में सरकार पर 800 करोड़ का भार आ रहा है। इसके अलावा कई अन्य विभाग में भी हजारों की संख्या में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी काम कर रहे हैं जिन्हें नियमित होने की पात्रता है।

कहां कितने कर्मचारी हो सकते हैं लाभान्वित
पीडब्ल्यूडी में 11500
जल संसाधन में 9000
पीएचई में 3500
वन विभाग में 7000
राजधानी परियोजना प्रशासन - 1500
एनवीडीए - 3500
आदिमजाति कल्याण विभगा में 500
उद्यानिकी विभाग में 7000
ग्रामीण विकास में 3500
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मुख्यमंत्री से मिलेंगे कर्मचारी
दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संगठन के पदाध्ािकारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करवाने मुख्यमंत्री शिवराजसिंह से मिलेंगे। मप्र कर्मचारी मंच दैनिक वेतन भोगी के अध्यक्ष अशोक पांडे ने बताया कि वे बुधवार को मुख्यमंत्री से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपेंगे। सीएम से आदेश पर तत्काल अमल करवाने का आग्रह करेंगे।

पढ़िए मंत्रियों के बोल वचन
सरताज सिंह मंत्री पीडब्ल्यूडी - जिन दैवेभो कर्मचारियों की याचिका में सुप्रीम कोर्ट में सरकार हारी है, उन्हें हम नियमित कर देंगे। शेष कर्मचारियों के बारे में विचार किया जाएगा।
कुसुम महदेले मंत्री पीएचई - जो कर्मचारी कोर्ट से जीते हैं, उनका नियमितिकरण किया जाएगा। शेष कर्मचारियों के संबंध में विधि विभाग से राय लेने के बाद ही निर्णय लिया जाएगा।
जयंत मलैया वित्त एवं जल संसाधन मंत्री - मैं अभी भोपाल से बाहर हूं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन करने के बाद ही निर्णय लिया जाएगा।

एक्सपर्ट व्यू
सुप्रीम कोर्ट की फुल बेंच में रिव्यू पिटीशन खारिज होने के बाद राज्य सरकार के पास विकल्प नहीं है। उन्हें हर हाल में इसका पालन करना होगा। यदि वे ऐसा नहीं करती है तो उन्हें सजा के तौर पर अवमानना का सामना करना पड़ेगा। फैसले का लाभ भी सभी को मिलेगा, जो पात्रता रखते हैं।
विवेक तनखा, वरिष्ठ अधिवक्‍ता सुप्रीम कोर्ट

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