देवास। देवास के यमनानगर में शुक्रवार को एक दुल्हन की विदाई भागवत कथा के पंडाल से हुई। गरीब पुजारी की बेटी के ब्याह के सारे इंतजाम रहवासियों ने जनसहयोग से जुटाए। न किसी समाज का बंधन था न कोई धर्मरीति। सबका मिलकर एक ही लक्ष्य था धूमधाम से हो इस बेटी का विवाह। हर घर-परिवार के लोग इस विवाह के साक्षी बनें, इसलिए भागवत कक्ष को माध्यम बनाया गया था।
आयोजन के लिए किसी ने रुपए से मदद की तो किसी ने गृहस्थी का सामान दिया। किसी ने आने-जाने के लिए गाड़ी का इंतजाम कर दिया। शादी के लिए अन्य सामग्री मुहैया कराने वालों को जब रहवासियों की भावना मालूम पड़ी तो उन्होंने भी अपनी व्यवस्थाएं मुफ्त कर दीं। कथा पंडाल में हजारों के बीच से विदा हुई दुल्हन भावना बैरागी ने कहा- मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरा ब्याह ऐसा होगा..। मैं बहुत खुश हूं और यह कहते-कहते अश्रुधारा बह निकली। दुल्हन के यह शब्द सुन वहां मौजूद लोगों की भी आंखें नम हो गईं।
मक्सी रोड पर यमना नगर के हनुमान मंदिर में दयालदास बैरागी पुजारी हैं। उनकी चार बेटियां हैं। परिवार का लालन-पालन मंदिर के चढ़ावे व रहवासियों की मदद से ही होता आ रहा है। बड़ी बेटी भावना का रिश्ता छह माह पहले मेंढकी के राहुलदास बैरागी से तय हुआ। परिवार शादी के इंतजामों व खर्च को लेकर चिंतित था। कॉलोनी के लोग पुजारी की आर्थिक स्थिति से वाकिफ थे, लिहाजा उन्होंने प्रस्ताव रखा कि शादी हम मिलकर कराएंगे और धूमधाम से धार्मिक माहौल के लिए कथा भी कराएंगे। आप तो बस सहमति दे दीजिए। पुजारी लोगों का अाग्रह ठुकरा न सके, लेकिन वे चाहते थे कि कुछ भी करने से पहले वर पक्ष से सहमति ले ली जाए तो बेहतर होगा। वर पक्ष को जानकारी लगी तो जवाब मिला- यह हमारा सौभाग्य कहिए कि भागवत कथा के पंडाल में फेरे होंगे।
न बैंडबाजे न घोड़ी, एक्टिवा से आया दूल्हा
भागवत कथा के वाचन होने के चलते वर पक्ष ने भी बैंडबाजों के साथ बनौला नहीं निकालने का फैसला किया। यहां तक कि दूल्हा घोड़ी पर भी नहीं आया। एक्टिवा गाड़ी पर बैठाकर दूल्हा पांडाल में पहुंचा और दुल्हन को ब्याहकर ले गया।
किसने क्या दिया, सिर्फ उसे मालूम
धूमधाम के साथ शादी के साथ रिश्तेदारों और रहवासियों ने गृहस्थी का पूरा सामान भी दिया। खास बात यह रही कि पूरे आयोजन में किसी व्यक्ति विशेष ने जिम्मेदारी नहीं ली और हर काम में सभी रहवासियों का सहयोग बताया गया। वधू पक्ष ने यह भी कहा कि खर्च कितना हुआ, यह भी हमने नहीं जोड़ा। बस प्रभु की कृपा से सब हो गया। किसी ने गृहस्थी के लिए फ्रीज दिया तो किसी ने बर्तन।
