राहुल के बदन में तिल कहां हैं, जानना जरूरी है: मोदी सरकार

नई दिल्ली। कांग्रेस ने राहुल गांधी की कथित 'राजनीतिक जासूसी' के मुद्दे को सोमवार को संसद के दोनों सदनों में जोर-शोर से उठाया, हालांकि सरकार ने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्रियों और प्रमुख राजनीतिक व्यक्तियों की इस तरह की प्रोफाइलिंग सुरक्षा व्यवस्था का हिस्सा है, जो यूपीए शासन सहित 1957 से जारी है। सरकार ने साथ ही बताया कि आखिर क्यों राहुल गांधी के जूते का नंबर एक महत्वपूर्ण जानकारी है।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने शून्यकाल में इस मामले को उठाते हुए आरोप लगाया कि राहुल गांधी की 'राजनीतिक जासूसी' की जा रही है। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि अगर प्रोफाइल बनाने की बात है तो फिर राहुल के बारे में ये सवाल क्यों पूछे गए कि उनके जूते का नंबर क्या है और उनका जन्म चिह्न (बर्थ मार्क) कहां हैं। खडगे ने इस विषय पर कार्यस्थन प्रस्ताव का नोटिस भी दिया था जिसे स्पीकर सुमित्रा महाजन ने अस्वीकार करते हुए कहा कि वह इस मामले को शून्य काल में उठा सकते हैं।

कांग्रेस नेता के आरोप के जवाब में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि खडगे ने यह सवाल उठाया है कि प्रोफाइल बनाने के लिए राहुल के जूते का नंबर क्यों पूछा गया। जेटली ने राजीव गांधी का नाम लिए बिना कहा कि देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के बाद उनके शव की पहचान उनके जूतों से ही हो सकी थी। उन्होंने कहा, 'यह सुरक्षा का मुद्दा है जिसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। 1957 से देश के प्रमुख व्यक्तियों की सुरक्षा प्रोफाइलिंग की व्यवस्था चली आ रही है, जिसे 1987 और फिर 1999 में संशोधित किया गया।'

जेटली ने कहा कि प्रोफाइल में जूते का नंबर, मूंछ है या नहीं, चप्पल पहनते हैं या जूता, आंखों का रंग क्या है, बदन में तिल कहां हैं, अक्सर कहां कहां घूमने जाते हैं, कौन कौन अक्सर मिलने आते हैं.. ये सब बातें पूछी गई हैं जो सुनने में हास्यास्पद लग सकती हैं, लेकिन सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी हैं।

उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित सभी प्रमुख राजनीतिकों से उनके प्रोफाइल लिए गए हैं। इनमें बीजेपी नेताओं के साथ ही सीपीएम नेता सीताराम येचुरी और जेडीयू के शरद यादव के भी नाम हैं। कांग्रेस पर उन्होंने आरोप लगाया कि वह इसे जबरदस्ती मुद्दा बना रही है जबकि यह कोई मुद्दा है ही नहीं।

राहुल की जासूसी के आरोप को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि अगर जासूसी ही करनी होती तो चुपके से की जाती, पुलिस को उस व्यक्ति के पास ही भेजकर ऐसी बातें नहीं पुछवाते। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया कोई पिछले आठ-नौ महीने से शुरू नहीं हुई है, 1957 से चली आ रही है।

संसदीय कार्य मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने लोकसभा में इस आरोप को गलत बताया कि किसी व्यक्ति या पार्टी को निशाना बनाकर कोई जासूसी की जा रही है।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति बनने से पहले प्रणव मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पूर्व प्रधानमंत्रियों, बीजेपी अध्यक्ष, कांग्रेस अध्यक्ष आदि समेत 526 वीवीआईपीज़ के समय समय पर ऐसे प्रोफाइल बनाए गए हैं।

उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का भी ऐसा प्रोफाइल बनाते समय उनसे पूछा गया था कि क्या वह चप्पल पहनते हैं और उन्होंने कहा था कि 'हां, मैं चप्पल पहनता हूं।' उनसे यह भी पूछा गया था कि क्या वह धोती-कुर्ता पहनते हैं और उनका रंग क्या है।

नायडू ने कहा कि सोनिया गांधी को भी ऐसा ही परफॉर्मा दिया गया था, जिसे उन्हें या उनके सचिव ने भरा होगा। मंत्री ने कहा, 'मेरी सरकार जासूसी में यकीन नहीं रखती और जो प्रोफाइल बनाया जा रहा है , वह एक नियमित प्रक्रिया है।'

उन्होंने कहा कि यूपीए शासन में, उससे पहले और बाद में भी प्रोफाइल समय समय पर अपडेट किए जाते रहे हैं। कांग्रेस अध्यक्ष का 1998 और 2004 में, वाजपेयी का 1996 में, वर्तमान राष्ट्रपति मुखर्जी का 2001 और 2010 में, बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी का 2011 में , पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौडा और आईके गुजराल का 2011 में, सुषमा स्वराज का 2013 में, राजनाथ सिंह का 2007 में और अरुण जेटली का 2009 में प्रोफाइल अपडेट किया गया।'

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