अरविन्द रावल। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी जनता के जिस विश्वास के बल पर भारी जनादेश पाकर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई हे वह विश्वास शनै शनै ही सही पर हकीकत में कम होता जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की छवि प्रधानमंत्री बनने के पूर्व भी देश भर में लोकप्रिय थी, प्रधानमंत्री बनने पर भी लोकप्रिय हे और भविष्य में भी मोदीजी की छवि उनकी कर्मठता के कारण लोकप्रिय ही रहेगी लेकिन यहा प्रश्न यह उठता हे की भाजपा की छवि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से हे या फिर प्रधानमंत्री श्री मोदी की छवि भाजपा से हे ! जवाब कुछ भी हो लेकिन देश में राज्य सरकारों के गठन को लेकर भाजपा संग़ठन द्वारा जो जल्द बाज़ी दिखाई जा रही हे वह अत्तीत में भाजपा और प्रधानमंत्री श्री मोदी दोनों की छवि के लिए ज्यादा नुकसान देह भी हो सकते हे ! लोकसभा चुनाव के करीब नो माह बीत जाने पर अब तक देश के करीब आधा दर्जन से अधिक राज्यों में विधानसभा के चुनाव हुये हे ! भाजपा ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रिय छवि को भुनाते हुये महाराष्ट्र, हरियाणा, जम्मु कश्मीर आदि कई राज्यों में अब तक का सबसे बेहतरीन पर्द्शन भी किया हे !
भाजपा संघठन के सुप्रीमो और प्रधानमंत्री के सबसे करीबी और विश्वनीय साथी श्री अमित शाह ने देश भर के राज्यों में बीजेपी की सरकार बनाने की जल्दबाज़ी में भाजपा के पुरोधाओं द्वारा बनाये गये सिधान्तो को ही उलटना शुरू कर दिया हे ! इसका सबसे पहला उदाहरण महाराष्ट्र से हे जिसे सारे देश ने देखा भी हे ! बीते दो दशक से ज्यादा समय से चला आ रहा भाजपा शिवशेना गठबंधन हाल के विधानसभा के चुनाव के परिणाम के बाद टूटता सा नज़र आता हुआ दिखाई देता हे जिसकी आहट के स्वर आज भी सुनाई देते हे ! भले ही कहने को आज महाराष्ट्र में भाजपा शिवसेना की सरकार हे किन्तू रिश्तो में खटास अभी भी कायम हे ! भाजपा संग़ठन अपने दो दशक पुराने सहयोगी से रिश्ते सुलझाने की बजाय महाराष्ट्र में सत्ता की स्थिरता हेतू अपने धुर विरोधी रहे श्री शरद पवार की राकपा से हाथ मिलाते ज्यादा नज़र आते हे !
जम्मू कश्मीर के विधानसभा के चुनाव् में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का जादू ऐसा चला की भाजपा आज़ादी के बाद पहली बार इतनी शसक्त रूप में उभरी की वहा के क्षेत्रीय दलों को अपना अस्तित्व् मिटता नज़र सा आने लगा हे ! जम्मू कश्मीर में भाजपा भले अपने बूते राज्य में सरकार नहीं बनाये पर उसका ओहदा इतना जरूर हे की उसकी शर्तो के बूते तो कश्मीर की वादियों में सरकार जरूर बन सकती थी ! चुनाव परिणामो के करीब एक माह बाद भाजपा का पीडीपी का साथ गठबंधन हुआ और बीते 1 मार्च को ही राज्य में मुफ़्ती मोहम्मद सईद ने भाजपा पीडीपी सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली उस वक्त देश के प्रधानमंत्रीजी भी विशेष रूप मौजूद थे ! मुख्यमंत्री बने मुफ़्ती साहब अभी चौबीस घंटे भी नही बीते की उन्होंने वही अपना पुराना पाकिस्तानी प्रेम सरेआम इज़हार करते हुये राज्य में शांति पूर्ण चुनावो के लिए पाकिस्तान और आतंकवादियों का शुक्रिया कहा हे !
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के अपनी पहली ही प्रेस वार्ता से पाकिस्तानी प्रेम को देख कर देश एक पल को आवाक रह गया की कोई जिम्मेदार सवेधानिक पद पर बैठा हुआ व्यक्ति कैसे ऐसी बात बोल सकता हे ! फिर उससे भी बड़ी हैरानी की बात तो यह हे की जो भाजपा राष्ट्रप्रेम की बाते हर मंच से करती हे उसकी ही गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री द्वारा राष्ट्र विरोधियो के गुणगान करना और भाजपा का मोन रहना हे ! इतना ही नही मुख्यमंत्री मुफ़्ती तो सहयोगी दल भाजपा को नज़रअंदाज़ कर ऐसे राज्य में सरकार चला रहे हे और फैसले ले रहे हे जैसे की बहुमत वाली सरकार हो ! कश्मीर के अमन चेन में आग लगाने वाले और सेकड़ो निर्दोष मासूमो की जान लेने वाले अलगाववादी नेता मसरत आलम की रिहाई का फरमान जारी कर मुफ़्ती साहब ने जता दिया हे की सरकार में भाजपा को कितनी तवज्जो देते हे !
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के एक तरफा फैसले लेने से और भाजपा संग़ठन का खामोश लचीलापन अख्तियार करने से कई सवाल अपने आप खड़े हो जाते हे ! क्या इसी का नाम न्यूनतम साझा कार्यकर्म हे ? क्या भाजपा भी सत्ता की चाह में कही अपना चरित्र तो नही बदल रही हे ? कल तक जो लोग भाजपा को और प्रधानमंत्री श्री मोदी को फूटी आँख पसंद नही करते थे उन्ही के साथ भाजपा को सरकार बनाना क्या जरुरी था ? सत्ता भले बदली हो पर नीतिया अभी भी पुरानी कायम हे जिसे देख कर आज हर कोई यह कहते नज़र आता हे कि भाजपा का तो कांग्रेसीकरण होता जा रहा हे !
अरविन्द रावल
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