कांग्रेस को किसानों की नहीं अपनी सियासी जमीन तलाशने की चिंता

नंदकुमार सिंह चौहान। कांग्रेस को किसान की भूमि की नहीं अपनी सियासी जमीन तलाशने की चिंता रही है। उसकी पोल तो तभी खुल गयी थी जब भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक में विपक्ष की मंशा के अनुसार सुधार पर चर्चा हो रही थी और कांग्रेस सहमति बनाने के बजाय हंगामा करने की तैयारी में जुट रही थी।


कांग्रेस की आपत्ति इसलिए भी आधारहीन है क्योंकि कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री स्वंय प्रधानमंत्री के समक्ष जता चुके थे कि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के चलते राज्यों में विकास ठप्प हो चुका है। फिर कांग्रेस के पास इस बात का भी कोई जबाव नहीं है कि उसनें भूमि अधिग्रहण कानून 2013 में तय मुआवजा देने के बजाय इसे आधा क्यों कर दिया। उसनें ही यूपीए के कार्यकाल में उपजाऊ जमीन का अधिग्रहण करने में गुरेज नहीं किया। संशोधन की मंशा रही है कि भविष्य में न तो भट्टा परसौल जैसी दमनकारी घटनाएं हो और न ही सिंगूर को दोहराया जाये। भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक राज सत्ता द्वारा किसानों के दमन को रोकने की पूरी गारंटी है।

कांग्रेस इस बात को स्वीकार नहीं करती कि संशोधन के जरिये जहां शहरी क्षेत्र में अधिग्रहण होने पर 20 प्रतिशत जमीन मालिक के पास ही बनी रहेगी। संशोधन में स्पष्ट है कि पहले बंजर भूमि का अधिग्रहण किया जायेगा, उपजाऊ भूमि में अधिग्रहण का विकल्प तो अंतिम होगा जिसकी नौबत आमतौर पर तो अभी आने वाली नहीं है। बंजर भूमि को औद्योगीकरण के माफिक बनाने की योजना पर भी काम शुरू कर दिया गया है। इससे ही भूमि की जरूरतें पूरी हो जाने की उम्मीद की जा सकती है।

देश में किसानी का जीडीपी में योगदान फक़त 13 प्रतिशत रह गया है और उस पर निर्भरता 65 प्रतिशत आबादी की है। ऐसे में खेती का न तो विकास संभव है और न किसान को ऋण ग्रस्तता से आजाद किया जा सकता है। ग्रामीण बेरोजगारी पर प्रहार करने के लिए औद्योगीकरण की ग्रामीण अंचल में नींव डालनी होगी और उद्योग-धंधे भी जमीन पर ही सरसब्ज होंगे, जिससे देहात के युवकों को रोजगार मिलेगा। रोजगार के लिए स्किल्ड डेव्हलपमेंट कार्यक्रम में गति आयेगी। इससे देश को दुनिया के मानचित्र पर लाने वाला सबसे महत्वाकांक्षी कार्यक्रम मेक इन इंडिया को भी सफल बनाया जा सकेगा।

भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक में पुनर्वास के नियमों में स्पष्ट किया गया है कि परिवार के एक सदस्य को स्थायी नौकरी दी गई है। यह जिला कलेक्टर को प्रमाणित करना पड़ेगा। दिहाडी देकर भी काम नहीं चलेगा।

  • लेखक श्री नंदकुमार सिंह चौहान भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व सांसद भी हैं।


#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !