पंचायतों को सौंपी जाएगी स्कूलों की व्यवस्थाएं

भोपाल। मप्र सरकार पंचायतों को स्कूलों की जिम्मेदारी सौंपने जा रही है। इसमें मध्यान्ह भोजन से लेकर छात्रों व शिक्षकों की उपस्थिति तक सबकुछ शामिल रहेगा। जिम्मेदारी पंचायत की महिला जनप्रतिनिधि सरपंच/उपसरपंच/पंच को दी जाएगी और इसके लिए सरकार मानदेय भी देगी।

इस व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए महिला सरपंच एवं पंचों के मानदेय (प्रति बैठक 100 रुपए) को स्कूल गोद लेने की प्रक्रिया से भी जोड़ा जाएगा। इसके लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग नियमों में प्रावधान करने जा रहा है।

त्रि-स्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था को मजबूत और सार्थक बनाने के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग नियमों में कुछ बदलाव करने जा रहा है। इसके तहत सरपंचों के चैक काटने के अधिकार को वापस ले लिया गया है। रिकॉर्ड को संभालने और तैयार करने का जिम्मा सचिवों को सौंपा गया है तो महिला जनप्रतिनिधियों की भूमिका तय करने के लिए भी निर्देशिका तैयार की जा रही है।

विभाग की अपर मुख्य सचिव अरुणा शर्मा का कहना है कि स्कूल परिसर की जिम्मेदारी महिला जनप्रतिनिधियों को सौंपने पर विचार किया जा रहा है। इसे प्रभावी बनाने के लिए सरपंच व पंचों के मानदेय को जोड़ा जाएगा। जनप्रतिनिधियों को प्रति बैठक 100 रुपए के हिसाब से माह में अधिकतम चार बैठक के हिसाब से भुगतान किया जाता है।

इस व्यवस्था से न केवल मध्यान्ह भोजन की गुणवत्ता में सुधार आएगा बल्कि साफ-सफाई बेहतर रहेगी। शिक्षकों पर समय पर आने का दवाब भी रहेगा। अधिकांश गांवों में प्राथमिक स्कूलों में आंगनवाड़ी केन्द्र भी चलते हैं। पंचों की निगरानी होने से महिला और बच्चों के हेल्थ चेकअप से लेकर पोषण आहार वितरण की व्यवस्थाओं में भी सुधार होगा।

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