ABVP का नेता ले रहा था फर्जी स्कॉलरशिप, करा दी गई फाइल गायब

shailendra gupta
इंदौर। यूं तो कहा जाता है कि ABVP भाजपा की स्टूडेंट विंग नहीं है, परंतु जैसे ही ROHIN ROY का स्कॉलरशिप कांड सामने आता है तो पता चलता है कि यहां तो सत्ता का भरपूर उपयोग कर लिया गया। पहले फर्जी स्कॉलरशिप ली गई और फिर फाइल ही गायब करवा दी।

यूनिवर्सिटी में गुरुवार दोपहर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया। वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के छात्र नेता पर गलत तरीके से छात्रवृत्ति लेने और यूनिवर्सिटी पर मामला दबाने का आरोप लगा रहे थे।

दोपहर 12 बजे कांग्रेस के देवेंद्र यादव, तेजप्रकाश राणे, विवेक खंडेलवाल समेत करीब 20 कार्यकर्ता प्रभारी कुलपति प्रो. अनिल कुमार के कक्ष में पहुंचे। उनका कहना था कि अभाविप के प्रदेश मंत्री रोहिन राय और उनकी बहन ने आईआईपीएस में एमबीए करते हुए पांच साल तक गलत तरीके से छात्रवृत्ति ली।

ओबीसी वर्ग के छात्र नेता ने अपनी वार्षिक आय 35 हजार रुपए दर्शाई थी, जबकि वे कार में कॉलेज आते थे। उनके परिवार का शराब का कारोबार है। शिकायत के बाद अब तक यूनिवर्सिटी ने कार्रवाई नहीं की है। यादव और राणे ने आरोप लगाया कि विवि छात्र नेता के दबाव में काम कर रहा है। पीएचडी में भी फर्जी असाइनमेंट की रिपोर्ट में उसे क्लीन चिट दे दी।

बुलाने पर निदेशक नहीं आए
प्रभारी कुलपति ने कांग्रेसियों से कहा कि कार्रवाई उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है। इस पर नेता भड़क गए। बीच-बचाव करते हुए रजिस्ट्रार आरडी मूसलगांवकर ने कहा कि जांच में क्लीन चिट नहीं दी गई है। कांग्रेसियों ने कहा कि छात्र नेता की फाइल भी आईआईपीएस से गायब कर दी गई है। यदि फाइल चोरी हुई है तो एफआईआर क्यों नहीं की गई। आरोपों से घिरे छात्र की फाइल गायब होना साबित कर रहा है कि आईआईपीएस में छात्रवृत्ति घोटाला हुआ है। इसमें अंदर के लोग शामिल हैं।

इस पर प्रभारी कुलपति ने आईआईपीएस निदेशक प्रो. आनंद सप्रे को फोनकर फाइल के साथ विवि मुख्यालय आने को कहा, पर उन्होंने आने से मना कर दिया। कुलपति ने कांग्रेसियों को आश्वासन दिया कि निदेशक शाम को आ जाएंगे।

कार्रवाई होगी
बाद में रजिस्ट्रार ने मामले पर आईआईपीएस निदेशक को पत्र लिखकर शाम तक विस्तृत ब्योरा भेजने का निर्देश दिया। इस पर निदेशक प्रो. सप्रे छात्रवृत्ति प्रभारी गजेंद्र परमार, डॉ. रवींद्र यादव और योगेंद्र बावल के साथ बैठक करते रहे। शाम को कांग्रेसी फिर यूनिवर्सिटी आ गए, लेकिन निदेशक नहीं आए। प्रभारी कुलपति ने फोन पर कुलपति प्रो. डीपी सिंह से बात कराई। कुलपति ने मामले की जांच का आश्वासन दिया। कांग्रेसियों ने मामला आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो को सौंपने की मांग की।

वहीं अभाविप के प्रांत मंत्री रोहिन राय ने आरोपों को गलत करार दिया। उन्होंने कहा कि शराब का कारोबार उनके चाचा का था। कांग्रेसी नेता के खिलाफ मैंने राष्ट्रीय चिन्ह के दुरुपयोग की शिकायत की थी, उसी के जवाब में यह कार्रवाई हो रही है।

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