पढ़िए भारत में कानूनी संवेदनशीलता के 2 रूप, नन रेपकांड Vs आईएएस हत्याकांड

नई दिल्ली। बंगाल के रानाघाट में हुए नन के साथ रेप के मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई है। जबकि कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में हुए आईएएस हत्याकांड के मामले में सीबीआई जांच की मांग का आवेदन खारिज कर दिया गया। मृत आईएएस अधिकारी माफिया के खिलाफ अभियान चला रहा था। अब परिजनों को न्याय के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। 


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट कर कहा, "मामले की गंभीरता और संवेदनशीलता को देखते हुए मैंने सीबीआई से जांच कराने का फ़ैसला किया है। 14 मार्च, 2015 को हुई रानाघाट की वारदात बेहद गंभीर है, गुनहगारों को पकड़ने के लिए पुलिस को कड़े निर्देश दिए गए हैं।" ममता ने ये बताया है कि पुलिस अपनी हर मुमकिन कोशिश कर रही है, लेकिन इलाके के करीब ही बांग्लादेश बॉर्डर है, लिहाजा उन्होंने सीबीआई जांच की कराने को कहा है।

इससे पहले वेटिकन कनक्लेव के सबसे कम उम्र के कार्डिनल और भारत के बड़े बिशॉप बेसलिऑस कार्डिनल क्लीमिस ने बुधवार को रानाघाट जाकर पीड़ित नन से मुलाक़ात की और कहा कि इस घटना की जांच में तेज़ी लाई जानी चाहिए। अपराध के मक़सद का पता लगाया जाए।

उधर, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी इस मामले की तहकीकात शुरू कर दी है और पश्चिम बंगला सरकार से दो हफ्ते के अंदर घटना पर रिपोर्ट मांगी है। आयोग रिपोर्ट के बाद अपनी आगे की कार्रवाई तय करेगा लेकिन राजनीतिक पार्टियों के एक दूसरे पर लगते आरोप और अभीतक एक भी गिरफ्तारी का नहीं होना वाकई ये सवाल उठा रहा है कि जांच से ज्यादा जोर है सियासत पर।

सीबीआई जांच कराओ, नहीं तो पूरा परिवार कर लेगा आत्महत्या

बेंगलुरु। ईमानदार आईएएस अधिकारी डीके रवि की रहस्यमय मौत को उनका परिवार आत्महत्या मानने को तैयार नहीं है और उनकी हत्या की आशंका जताते हुए घटना की सीबीआई जांच की मांग की है और मांग न माने जाने की सूरत में आत्महत्या की धमकी दी है।

इस बीच घटना के प्रति बढ़ते जनाक्रोश के बीच विपक्ष ने भी इस मामले की सीबीआई जांच की मांग करते हुए बुधवार को दूसरे दिन भी कर्नाटक विधानसभा की कार्यवाही में बाधा डाली। आईएएस अधिकारी डीके रवि के परिवार ने आज अचानक राज्य सचिवालय विधानसौध पर धरना दिया और रवि की रहस्यमय मौत की घटना की सीबीआई जांच की मांग की हालांकि सरकार का कहना है कि प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का मामला है। रवि के पिता करियप्पा, मां गौरम्मा और भाई रमेश ने विधानसौध के सामने धरना दिया और धमकी दी कि यदि (सीबीआई जांच की) उनकी मांग नहीं मानी गई तो वे आत्महत्या कर लेंगे। पहले से परेशान प्रशासन पर इस धमकी से दबाव बढ़ गया है।

गौरम्मा ने कहा कि हम बस सीबीआई जांच चाहते हैं। हम न्याय चाहते हैं। उनके साथ उनके पति करियप्पा और बेटे रमेश थे। परिवार ने रवि पर राजनीतिक दबाव पड़ने का संकेत दिया। रवि (35) सोमवार की शाम को यहां एक फ्लैट में फांसी के फंदे पर लटकते हुए मिले थे। गौरम्मा ने कहा कि हम किसी से नहीं मिलना चाहते, हम न्याय चाहते हैं और यदि वे हमें न्याय नहीं देंगे तो हम यहां आत्महत्या कर लेंगे। जब उनसे पूछा गया कि क्या उनके बेटे ने उन्हें यह बताया था कि उन्हें कोई धमकी मिल रही है, उन्होंने कहा कि उसने मुझे नहीं बताया कि वह किन हालात से गुजर रहा है। मैं इस बारे में नहीं जानती, वह मुझसे इस तरह की बातें नहीं करता था क्योंकि मुझे यह सब समझ नहीं आता था। उन लोगों ने उसे समय ही नहीं दिया कि वह मुझे कुछ बता सके।

भावुक गौरम्मा ने कहा कि मुझे अब तक समझ नहीं आ रहा कि क्या हुआ है, मैं नहीं जानती कि मेरे बेटे पर किसने दबाव डाला, यह सब किसने किया, लेकिन मैं अपने पुत्र के लिए इंसाफ चाहती हूं। पहली बार रवि का शव देखने के उस खौफनाक मंजर को याद करते हुए गौरम्मा ने एक कन्नड़ टीवी चैनल से कहा कि मुझे लगता है कि उसके साथ कुछ हुआ है। मैं पढ़ी लिखी नहीं हूं, लेकिन मैंने बड़ी मुश्किलें उठाकर उसे पढ़ाया लिखाया। मैंने अपना बेटा खोया है, मैं उसके लिए इंसाफ चाहती है, बस। मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए आईएएस अधिकारी के ससुर हनुमंतरयप्पा ने कहा कि विधायक एसए नारायणस्वामी विभिन्न कारोबारी हित वाले समूह को जमीन बेचता है।

उन्होंने कहा कि यह सरकारी जमीन है और सरकार ने उसे हासिल किया है। मामला उच्च न्यायालय पहुंचा। इसके बारे में मीडिया में खबरें हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या रवि को नारायणस्वामी से कोई सीधी धमकी मिली थी, उन्होंने कहा कि एक बार उसने मुझसे कहा था, मैंने उससे किसी से कोई धमकी मिलने पर मुख्य सचिव को या संभव हो तो मुख्यमंत्री को सूचित करने को कहा था। मैंने उससे इस बात को नजरअंदाज नहीं करने को कहा था। उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि उसने मुख्य सचिव को इस बारे में बताया होगा लेकिन वह मुख्यमंत्री से नहीं मिला।

इस बारे में पूछने पर विधायक नारायणस्वामी ने कहा कि मैंने टेलीफोन या किसी अन्य तरीके से कोई धमकी नहीं दी। किसी ग्रुप से कोई संबंध ही नहीं है तो मैं कोई धमकी क्यों दूंगा। उन्होंने कहा कि क्या उपायुक्त को किसी तरह की धमकी देना संभव है? अगर मैंने कोई धमकी दी होती तो क्या वह चुप बैठते। हनुमंतरयप्पा ने मुख्यमंत्री से इस मामले की जांच कराने की अपील करते हुए कहा कि मैं सीबीआई जांच समेत किसी भी प्रकार की जांच में सहयोग को तैयार हूं। सच्चाई सामने आनी चाहिए। उन्होंने रवि और उनके परिवार के बीच मतभेद की खबरों को बेबुनियाद बताया।

एक अपील
हमने तो केवल भारत में राजनैतिक संवेदनशीलता के 2 चैहरे पेश किए हैं। एक मामले में तुरंत न्याय के लिए देश की तमाम संस्थाएं प्रयासरत हैं, भारत के प्रधानमंत्री भी चिंतित हैं परंतु दूसरे मामले में किसी को कोई फिक्र नहीं। शायद इसलिए क्योंकि मरने वाला केवल एक सरकारी अफसर था, तो क्या हुआ कि वो माफिया से खिलाफ लड़ रहा था। 

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