मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाते हुए व्यवस्था दी है कि महिलाएं तलाक के बाद भी अपने पूर्व पति के नाम (सरनेम) का इस्तेमाल कर सकती हैं। अपने ही पुराने आदेश को रद्द करते हुए कोर्ट ने कहा, तलाकशुदा महिलाओं को ऐसा करने से नहीं रोका जा सकता है।
दरअसल, तलाकशुदा महिलाओं को सरकारी कार्यों में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। उनसे पूर्व पति के बारे में पूछा जाता है।
पासपोर्ट जैसे मामलों में तो महिला को वापस पति के पास भेजकर एनओसी मंगवाया जाता है। बहरहाल, हाई कोर्ट के इस फैसले से लाखों महिलाओं को राहत मिली है।
जस्टिस अभय ओझा और जस्टिस एके मेनन की बैंच ने कहा कि ऐसा कोई कानून नहीं है जो महिला का यह अधिकार छिन सके। पुणे की 67 वर्षीय महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा, महिला को कोई भी उपनाम (अपने पिता का या पिता का) रखने की छुट है।
महिला ने शादी के बाद अप्रैल 2002 में पासपोर्ट बनवाया था। मार्च 2012 में उसके नवीनीकरण के लिए आवेदन दिया और बताया कि उसका तलाक हो चुका है।
इस पर पोर्सपोर्ट कार्यालय से कहा गया कि महिला तलाक के बाद पति का सरनेम नहीं लगा सकती है। इस पर महिला ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।