6 साल की बेटी को 3 घंटे तक पीटता रहा सौतेला बाप

ग्वालियर। पहले तो वो पागलों की तरह मुझे और मेरी बेटी को पीटता रहा। जब पूर्वी की चीखें खामोश हो गईं तो उसने उसे रस्सी से खोलकर अपने साथ ही पलंग पर सुला लिया। मैंने कई बार बच्ची की हालत देखना चाही पर वो मुझे धमकाता रहा। सुबह तक वह बच्ची को सुलाता रहा, लेकिन वह निर्जीव पड़ी थी।

सुबह जब वह खुद गहरी नींद में सो गया तो मैंने किसी तरह बेटी को वहां से उठाया और उसे अस्पताल लेकर पहुंची। जहां डॉक्टर ने बताया कि बच्ची काफी समय पहले ही दम तोड़ चुकी है। 20 दिन पहले राजेश हमें झांसी से लेकर आया था। हर दिन मैं और मेरी बेटी ने नर्क की तरह गुजारा है।

बेटी की मौत से सदमे में बैठी आशा नामदेव ने रोते हुए कुछ यूं बयां की रात की घटना की कहानी। जब पुलिस बेटी के शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाने की बात कह रही थी, तब भी आशा घबराई हुई थी और एक ही बात कह रही थी कि उसकी बेटी को पोस्टमार्टम के लिए मत भेजो। वहां उसे दर्द होगा। तो सोचो जब उसके ही सामने हैवान पति बच्ची को पीट रहा था तो उसे कितनी तकलीफ हुई होगी।

सास नहीं थी घर पर
वैसे तो आशा के साथ उसकी सास सोनाबाई भी रहती है, पर दो दिन पहले वह अपनी भाभी की मौत के बाद गमी में शामिल होने डबरा अपने मायके गई थी। पास ही राजेश का भाई भी रहता है, लेकिन उसकी आदतों के चलते वह कम ही उससे बात करता है।

ऐसे हुई थी दोनों की मुलाकात
आशा की शादी झांसी के गुरसराय में नरेन्द्र कुमार से हुई थी। नरेन्द्र से उसको दो बेटी थीं। वैष्णवी (9) व पूर्वी (6)। 5 साल पहले नरेन्द्र ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी थी। तभी से आशा, झांसी में अपनी मां के पास रह रही थी। वहीं राजेश की मारपीट की आदत के चलते उसकी पहली पत्नी भी उसे छोड़कर चली गई थी। आशा व राजेश के एक पड़ोसी ने उनकी बात कराई थी। आशा की दोनों बेटियों की जिम्मेदारी लेने की बात कहने के साथ राजेश ने 18 नवंबर 2014 को आशा से शादी कर ली थी। घटना से 20 दिन पहले ही राजेश उसकी विदा कराकर झांसी से लाया था।

सबने सुनी मासूम की चीख, मदद के लिए कोई नहीं आया
राजेश के पड़ोस में रहने वाले रमेश साहू ने बताया कि नशे की हालत में आकर मारपीट करना उसका रोज का काम था। एक बार उनके झगड़े में बीच बचाव करने पर वह हम से भी झगड़ गया था। इसलिए बुधवार रात मासूम की आवाज सबने सुनी होगी, लेकिन कोई मदद के लिए आगे नहीं आया।

वैष्णवी को नहीं पता पूर्वी हमेशा के लिए चली गई
पूर्वी की मौत के बाद आशा ने झांसी में अपनी मां व भाई को सूचना दे दी। उसने अपने परिजन से कहा कि वैष्णवी को नहीं बताना कि पूर्वी अब नहीं रही। पिछले माह जब राजेश, आशा को लेने गया था तो पूर्वी को वह साथ ले आई थी, लेकिन वैष्णवी को नानी के पास ही छोड़ दिया था।

चोट के निशान देखकर रूह कांप गई
मुरार थाने में रखी मासूम की बॉडी पर चोटों के निशान देखकर पुलिस अधिकारियों की भी रूह कांप गई। हर कोई सोच रहा था कि मासूम के शरीर पर डंडे बरसाते समय राजेश को जरा सा भी रहम नहीं आया।

मैं, उसे मारना नहीं चाहता था
थाने की हवालात में राजेश माथे पर हाथ रखे बैठा था। जब उससे पूछा कि उसने यह क्यों किया तो जवाब मिला, मैं उसे मारना नहीं चाहता था। मुझे कुछ होश नहीं था।

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