ये आंकड़े कब गरीब की थाली तक पहुंचेंगे

राकेश दुबे@प्रतिदिन। सरकार का दावा है कि नवंबर महीने में महंगाई की दर 0.0 प्रतिशत पर जा पहुंची. इसके पहले अक्टूबर में यह 1.77 प्रतिशत थी| सरकारी आंकड़ों के मुताबिक नवंबर में खाने पीने के सामान की दर  तीन साल के न्यूनतम स्तर पर जा पहुंची है| इसके बावजूद गरीब की थाली ज्यों की त्यों है सरकारी आंकड़ों और जमीनी हकीकत में अंतर कब और  कैसे कम होगा इसका जवाब अभी तो किसी के पास नहीं है|

सरकार ने सोमवार को थोक मूल्य सूचकांक के आंकड़े जारी किए, जिनके मुताबिक खाने-पीने के सामानों, ईंधन और कारखानों में निर्मित सामानों की महंगाई में भारी गिरावट आई है| खाने-पीने के वस्तुओं की महंगाई दर गिरकर 0.63 प्रतिशत पर जा पहुंची है| उल्लेखनीय है कि जुलाई 2009 में महंगाई की दर गिरकर -0.3 प्रतिशत पर जा पहुंची थी|  कहते हैं कि इस अवधि में आलू और प्याज की कीमत में गिरावट  आई है|  हकीकत यह है कि आलू के दाम स्थिर रहे और इसके विपरीत अंडे, मांस और मछलियों के दाम में बढ़ोतरी आई|

कारखानों में बनने वाली वस्तुओं जैसे चीनी, खाद्य तेल, कोल्ड ड्रिंक वगैरह और सीमेंट वगैरह के दाम नवंबर में 2.04 प्रतिशत गिरे| इसी तरह ईंधन और ऊर्जा की कीमतों में भी गिरावट आई है| अब रिजर्व बैंक को इस बात पर विचार करना होगा कि वह ब्याज दर में कटौती करे |महंगाई के नाम पर इस केन्द्रीय बैंक ने ब्याज दरों में ताबड़तोड़ बढ़ोतरी की, जिससे मिडिल क्लास को बहुत चोट पहुंची|

बाज़ार के इन आंकड़ों से गरीब की थाली का कोई सीधा सम्पर्क नहीं होता है| केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक अपने तरीकों से इसकी व्याख्या करते हैं गरीब की थाली में रोटी की जुगाड़ जिस आंकड़ों से होती है वह श्रम और खुदरा बाज़ार से जुडा होता है और वहां तेज़ी का आलम है|

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