मुश्ताक खान। दोस्तों आज हम प्राथमिक व माध्यमिक स्तरीय सरकारी पाठशाला की दयनीय स्थिति पर चर्चा करते है। उम्मीद करता हूँ की पोस्ट को बड़े-बड़े शिक्षाविद सरकार तथा शिक्षा विभाग तक पहुंचाएंगे। सरकारी माध्यमिक स्तर पाठशाला की भोतिक स्थिति लगभग निम्नानुसार है-
1. अधिकतम 5 से 8 कक्ष। किचिन शेड व ऑफिस, शौचालय अतिरिक्त।
2. विधुत कनेक्शन स्थापना से आज तक नहीं 20% को छोड़कर।
3. 80% शालाओं में खेल मैदान का आभाव।
4. शिक्षकों का अभाव।
शाला की परिसंपति-
1.लगभग 2 अलमारियां
2. लगभग 2 संदूक
3. लगभग 10 कुर्सी
4. एबीएल/एएलएम किट
5. mdm के बर्तन
6. 2 झंडे
7. कुछ तस्वीरें
8. झंडा रस्सी
9. झंडे हेतु लोहे की राड
10. कागजी रिकॉर्ड के बस्ते
11 कुछ ताले व चाबियाँ
दोस्तों ये है सरकारी पाठशाला का भोतिक और संपत्ति स्वरुप। अब इसके रखरखाव की बात करते है-
सरकार द्वारा प्रति वर्ष विकास व मरम्मत हेतु दिया जाने वाला मानदेय-
प्राथमिक स्तर पर
1.शाला विकास राशि 5000=00
2. मरम्मत राशि 7000=00
कुल=12000 प्रतिवर्ष
इसके अतिरिक्त कोई राशि नहीं।
माध्यमिक स्तर पर
1.शाला विकास राशि 7000=00
2. मरम्मत राशि 10000=00
कुल=17000 प्रतिवर्ष
इसके अतिरिक्त कोई राशि नहीं।
उक्त मानदेय पिछले 6 वर्षो से लगभग यथावत है।
मानदेय से प्रतिवर्ष किये जाने वाले कार्य-
1.प्रतिवर्ष पूर्ण शाला की पुताई
2.बोर्ड की मरम्मत साथ ही विषय बोर्ड़ो की लिखाई।
3.खिड़की दरवाजों पर आइल पेंट
4.छात्रों के बैठने हेतु पट्टी व टेबल मरम्मत व खरीदी
5. खिड़की दरवाजों तालों की टूट फूट व मरम्मत
6. किचिन शेड की मरम्मत,,व शाला शोचालय,, भण्डार हेतु आवश्यक मरम्मत।
7. फोटो कॉपी एवं वार्षिक स्टेशनरी
8. उत्सवों, जयंतियो,रेलियों, का व नारे लिखाई का खर्च
9. शौचालयों की साफ़ सफाई
10. शाला सफाई सामग्री
11. हाथ धुलाई किट प्रति सप्ताह साबुन,सोडा खरीदी
12. रेडियो हेतु सेल खरीदी
13. पालक बैठक चायपान
14. भ्रमण कार्यक्रम
15. sssm-id व छात्रवृत्ति हेतु इंटरनेट का खर्चा
16. अन्य कई खर्च परिस्थितिनुसार
दोस्तों इतना सारा व्यय वो भी बढती महंगाई में मात्र 12000 से 17000 में एक शासकीय शिक्षक/अध्यापक किस तरह परिणित कर रहा होगा ये वही जान सकता है और शालाओं में अव्यवस्था का सबसे बड़ा कारण भी यही है। बड़े से बड़ा अर्थशास्त्री भी इतने न्यूनतम मानदेय पर उचित व्यवस्था नही कर सकता।
यदि सरकार व शिक्षा विभाग चाहती है की सरकारी पाठशालाओं की स्थिति सुधारे तो निम्न सुझाव पर तत्काल निर्णय लिया जाना चाहिए -
1.बढती महंगाई को देखते हुए शाला विकास राशि व मरम्मत राशि में बढोतरी करनी चाहिए
प्राथमिक विभाग हेतु वर्तमान स्थितिनुसार लगभग 30000=00 व माध्यमिक विभाग हेतु 35000=00 प्रति वर्ष आवंटित की जानी चाहिए जिसमे समयानुसार परिवर्तन किया जावे।
2. शिक्षक/अध्यापकों की उचित व्यवस्था हो।
3. गैर शिक्षकीय कार्य पूर्णतः बंद हों।
4. प्रत्येक शाला में विधुत व्यवस्था की जाए व बिल राशि का अलग मद बनाकर विधुत व्यय राशि प्रदान की जाए।
5. कागजी व शारीरिक खर्च व शैक्षिक समय के सदुपयोग हेतु प्रत्येक टीचर को अथवा प्रभारी को एक एक (पटवारियो की तरह) लेपटोप इंटरनेट कनेक्शन व खर्च के साथ प्रदान किया जाए ताकि हर स्कूल की समस्त जानकारी एक क्लीक में प्रतिमाह समयानुसार मेल की जा सके व शाला का सम्पूर्ण डाटा शिक्षक/ अध्यापको के पास 24 घंटे उपलब्ध रहे। उक्त लेपटोप से शिक्षण में भी मदद ली जा सकेगी बच्चे सजीव उदहारण से सीखेंगे।
6.a.b.l.और a.l.m. जैसी योजनाओं को तुरंत बंद कर बाल पोथी व पुरानी पुस्तकीय पद्धति की जाए।
7. जरुरत से ज्यादा पर्वो और आप्रेशनो को तत्काल बंद कर शिक्षको/अध्यापको को शिक्षण हेतु स्वतंत्र किया जाए।
8. बेहतर शिक्षा व शिक्षण हेतु शिक्षको/अध्यापकों को मानसिक,,व आर्थिक रूप से सुद्रण बनाना होगा उनकी समस्त जायज मांगो को भी सरकार व शिक्षा विभाग द्वारा अविलम्ब पूरा करना शिक्षा और शिक्षण हित में सुगम होगा।
अंत में सरकार से यही आशा है की सरकार व शिक्षा विभाग उक्त सुझाव पर अमल करते हुए सरकारी पाठशालाओ के भी अच्छे दिन लायेंगे।
पाठशालाओ और शिक्षण व्यवस्था सुधार हेतु जनहित में जारी।