नईदिल्ली। अलनीनो के नाम पर हंगामा शुरू हो गया है। सूखा पड़े या ना पड़े लेकिन कालाबाजारियों ने अपनी तैयारियां कर लीं हैं। प्याज को लेकर हंगामा कई बार हो चुका है इसलिए अब दालों पर खेल खेला जाएगा। दालों की कीमतों को आसमान तक पहुंचाने की तैयारियां की जा रहीं हैं।
इसी प्रक्रिया के चलते लोगों का माइंडसेट बनाने के लिए एक खबर मीडिया के माध्यम से उड़ाई जा रही है, पिछले 7 दिनों में यह खबर लगभग हर मीडिया संस्थान से होकर गुजर चुकी है। आप भी पढ़िए क्या कुछ लिखा है इसमें:—
नयी दिल्ली. मौसम विभाग के अनुमानों पर यकीन करें तो इस बार अल नीनो के प्रभाव से मानूसन वर्षा सामान्य से कम होने की स्थिति में दलहन फसलों की पैदावार में भारी गिरावट आ सकती है, जिससे इनके भाव पिछले कुछ महीनों पहले रही प्याज की ऊंची कीमतों के बराबर जा सकते हैं. उद्योग संगठन एसोचैम ने कहा कि अल नीनो के प्रभाव से मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश जैसे दलहन उत्पादक प्रमुख राज्यों में कम वर्षा होने के कारण पैदावार पर खासा असर पड़ सकता है. देश के कुल दलहन उत्पादन में इन राज्यों की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत है. उद्योग संगठन की रिपोर्ट के अनुसार मांग और आपूर्ति के बीच खासा अंतर रहने से दालों की कीमतें पहले से ही काफी ऊंची है.
आगे प्रतिकूल मौसम में आपूर्ति और घटने से यह आसमान छूने लगेंगी. ऐसे में इसे रोकने के लिए समय रहने प्रभावी उपाय जरूरी हैं. देश में दलहन का कुल उत्पादन करीब एक करोड़ 86 लाख टन है, जबकि मांग दो करोड़ 20 लाख टन है. पिछले पांच वर्षों के दौरान दलहन की पैदावार में बेहद मामूली 4.7 प्रतिशत की ही वृद्धि हो सकी है. रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2016 तक देश में दलहन की पैदावार बढ़कर 2 करोड़ 10 लाख टन होने की उम्मीद है, जबकि इस दौरान मांग बढ़कर 2 करोड़ 30 लाख टन तक पहुंचने का अनुमान है. सत्तर के दशक के आखिर में देश में चनादाल, मसूर, अरहर, उड़द, मसूर, चना और राजमा जैसी दलहन फसलों का उत्पादन एक करोड़ दस लाख टन से एक करोड़ 15 लाख टन के आसपास रहा था. वर्ष 2010-11 में इसमें काफी तेजी आयी और यह बढ़कर एक करोड़ 82 लाख टन पर पहुंच गया.
रिपोर्ट के अनुसार दलहनी फसलों पर अनुसंधान और विकास कार्यों को बढ़ावा देकर इनका उत्पादन बढ़ाने के रास्ते तलाशे जा सकते हैं. इसके अलावा ज्यादा उपज वाली किस्में उगाने तथा दलहन का रकबा बढ़ाने से भी उत्पादन में वृद्धि हासिल की जा सकती है. देश में दलहन की पैदावार के लिहाज से मध्यप्रदेश पहले स्थान पर है. देश के कुल दलहन उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 24 प्रतिशत है. उत्तर प्रदेश 16 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर, महाराष्ट्र 14 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ तीसरे स्थान पर, आंध्रप्रदेश 10 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ चौथे स्थान पर, कर्नाटक 7 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ पांचवें स्थान पर और राजस्थान छह प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ छठे स्थान पर है. बाकी 23 प्रतिशत दलहन उत्पादन में गुजरात, छत्तीसगढ़, बिहार, ओडिशा और झारखंड का योगदान है.
