भोपाल। पहली से आठवीं तक के सरकारी स्कूलों में नौ महीने पहले शिक्षा विभाग के अधिकारियों के कहने पर हर स्कूल में प्रधानाध्यापकों ने बर्तन साफ करने और अन्य व्यवस्थाओं के लिए एक-एक महिला कर्मचारी को रख लिया। तब से उन्हें वेतन के नाम पर दिया जा रहा है सिर्फ आश्वासन।
अब विभागीय अधिकारियों ने कह दिया कि वेतन का बजट ही नहीं है। इधर, शैक्षणिक सत्र बीतने को है और वेतन का एक रुपया तक नहीं मिलने से महिलाएं प्रधानाध्यापकों पर गुस्सा उतार रही हैं। अब प्रधानाध्यापकों को यह चिंता सता रही है कि यदि महिला कर्मचारियों ने काम बंद कर दिया तो बर्तन कौन साफ करेगा?
दरअसल, जुलाई में डीपीसी (जिला परियोजना समन्वयक) और बीआरसी (विकासखंड स्रोत समन्वयक) से प्राइमरी-मिडिल स्कूलों में पत्र आया था। उसमें मध्याह्न भोजन की व्यवस्था, बर्तन धोने के लिए एक-एक महिला कर्मचारी की नियुक्ति की बात कही थी। जुलाई में इनकी नियुक्ति कर ली गई। महिला कर्मचारियों से बाकायदा पूरी जानकारी, फोटो और उनके बैंक खाते का नंबर लिया गया। इसके बाद प्रधानाध्यापकों ने वेतन की मांग की तो विभाग टालता रहा।
तत्काल जारी करें राशि
राज्य आदर्श शिक्षक मंच के संयोजक भगवतीप्रसाद ने कहा मध्याह्न भोजन व्यवस्था के कर्मचारियों का वेतन तत्काल दिया जाना चाहिए। इसके कारण शिक्षक भी परेशान हैं। वैसे ही राज्य शिक्षा केंद्र ने छात्रों के वार्षिक मूल्यांकन का फंड भी जारी नहीं किया। ज्यादातर स्कूलों में आकस्मिक निधि भी खत्म हो चुकी है, ऐसे में परेशानी आ रही है।