भोपाल। हाल ही में यूपीएससी द्वारा देशभर के विद्यार्थियों को एक सौगात दी गई। सिविल सर्विसेज की परीक्षा में अब से विद्यार्थियों को कुछ मौके और मिलेंगे। इसका आशय यह है कि अपना अंतिम वर्ष मानकर चल रहे विद्यार्थियों के पास एक और अवसर होगा कि परीक्षा देकर अपना भाग्य आजमा सकें। जहां तक सवाल एमपी-पीएससी के विद्यार्थियों का है तो उनके पास 21 साल से लेकर 40 साल की उम्र तक अनेक अवसर मौजूद हैं।
परीक्षार्थी जितनी बार चाहे परीक्षा दे सकते हैं। मप्र लोकसेवा आयोग की परीक्षा में प्रतिवर्ष लाखों परीक्षार्थी शामिल होते हैं। राज्य सरकार के अनेक महत्वपूर्ण पदों के लिए इस परीक्षा के माध्यम से ही चयन किया जाता है। इसमें डिप्टी कलेक्टर, उप पुलिस अधीक्षक, आबकारी विभाग आदि की महत्वपूर्ण नियुक्तयां शामिल हैं।
वरिष्ठ शिक्षक प्रदीप मिश्रा से बात की तो उन्होंने बताया कि यूपीएससी ने परीक्षा के नियमों में किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया है। यह पूरी व्यवस्था उन विद्यार्थियों को राहत देने के उद्देश्य से की गई है जिन्होंने 2012 में प्री-एक्जाम दी थी। उस समय परीक्षा में वैकल्पिक विषयों को हटाकर अचानक सी-सैट लाया गया था। इसके चलते वर्षों से तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को नुकसान उठाना पड़ा था। तभी से उनकी मांग थी
कि हमारे लिए कुछ अवसर और बढ़ाए जाएं। मिश्रा ने बताया कि यह बात सही भी है कि जब कभी भी इस तरह की परीक्षाओं में अचानक कोई परिवर्तन होता है तो निश्चित रूप से पुराने विद्यार्थियों को नुकसान उठाना ही पड़ता है।
यूपीएससी परीक्षा में पहले सामान्य वर्ग के विद्यार्थी को चार और ओबीसी के विद्यार्थी को सात अवसर दिए जाते थे। राहत मिलने के बाद सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों के लिए छ: और ओबीसी वर्ग के लिए अब से नौ अवसर मौजूद रहेंगे। जहां तक सवाल एसटी-एससी के विद्यार्थियों का है तो इस वर्ग के विद्यार्थी 21-35 वर्ष की आयु तक अनगिनत बार परीक्षा दे सकते हैं।
मिश्रा ने बताया कि अगर बात एमपी- पीएससी की करें तो इस परीक्षा में 21 वर्ष से लेकर 40 वर्ष की आयु तक विद्यार्थी कितनी बार भी परीक्षा दे सकता है। किसी तरह की कोई पाबंदी नहीं है। यह बात सभी वर्ग के विद्यार्थियों के लिए समान है। एसटी- एससी के विद्यार्थियों के लिए यहां भी पांच साल की छूट है। महिलाएं जो तलाकशुदा हैं, उन्हें भी पांच साल के लिए छूट दी जाती है। इसलिए प्रदेश के विद्यार्थियों के लिए अवसरों की कोई कमी नहीं है।
उन्होंने बताया कि इससे पहले एमपी- पीएससी परीक्षा में विद्यार्थियों के लिए आयु सीमा 33 वर्ष ही हुआ करती थी। विद्यार्थियों की मांग के चलते प्रदेश सरकार ने इसे बढ़ाकर 40 वर्ष कर दिया। इससे पहले ऐसा प्रयास यूपी- पीएससी में किया जा चुका है। जहां तक सवाल पीएससी परीक्षा का है तो इसकी परीक्षा यूपीएससी पैटर्न पर ही होती है।
मिश्रा ने बताया कि पीएससी की मुख्य परीक्षा में दो वैकल्पिक विषय, एक सामान्य अध्ययन और एक सामान्य हिंदी का विषय होता है। वहीं यूपीएससी में एक वैकल्पिक विषय, चार सामान्य अध्ययन, एक निबंध और एक भाषा का परचा होता है।
यह पहला अवसर नहीं है जब यूपीएससी के माध्यम से विद्यार्थियों को राहत दी गई हो। इससे पहले सन् 1979 में भी ऐसा ही हुआ था। इससे पहले तक एक ही परीक्षा आयोजित की जाती थी। बाद में प्री-परीक्षा का प्रावधान लाया गया। उस दौर के विद्यार्थियों ने मांग की थी कि हमारे साथ यह नाइंसाफी है। हमारे लिए अवसर और बढ़ाए जाएं। तब भी अवसर बढ़ाए गए थे। इस बार दी गई राहत भी ऐसी ही है।
इससे देशभर के विद्यार्थी लाभान्वित होंगे। जहां तक सवाल पीएससी का है तो इसमें हमेशा से ही विद्यार्थियों के लिए अनेक अवसर रहे हैं। इसलिए इसमें विद्यार्थियों को ज्यादा परेशानी होती भी नहीं है।