भोपाल। नई पेंशन योजना (एनपीएस) का लक्ष्य वेतनभोगी कर्मचारियों को उनकी सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन या नियमित नकदी प्रवाह मुहैया कराना था। एनपीएस की शुरुआत 10 साल पहले हुई थी।
हालांकि निजी कंपनियों के बीच यह योजना उतनी लोकप्रिय नहीं हो पाई है, लेकिन सरकारी कर्मचारियों के लिए इसे अनिवार्य किया गया है। कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के मुकाबले इसे बेहतर माना जाता है, क्योंकि यह अधिक प्रतिफल देती है और सेवानिवृत्ति से पहले इससे रकम निकासी की अनुमति नहीं है।
हालांकि अब इसमें भी बदलाव हो सकता है। पेंशन फंड रेग्युलेटरी ऐंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (पीएफआरडीए) एनपीएस से सेवानिवृत्ति अवधि से पहले भी आंशिक रकम निकासी का प्रस्ताव दे रहा है। 15 जनवरी को जारी मसौदा परिपत्र में कहा है कि एनपीएस के ग्राहक अपने योगदान का 25 प्रतिशत तक रकम निकाल सकते हैं, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी। मसलन रकम निकासी का मकसद, इसकी आवृत्ति और सीमा आदि तय हो सकती है। नियामक ने परिपत्र पर 15 फरवरी तक सुझाव आमंत्रित किए थे।
इस संबंध में एक पेंशन फंड के प्रमुख ने कहा कि परिपक्वता अवधि से पूर्व आंशिक निकासी की अनुमति देने के लिए ही यह कदम उठाया गया है। उन्होंने कहा, 'यह कदम उन सरकारी कर्मचारियों को ध्यान में रखकर उठाया गया है, जो 2004 से एनपीएस के ग्राहक हैं और जिन्होंने एक मोटी रकम भी जमा कर ली होगी।' अधिकारी ने कहा कि एनपीएस में लचीलापन लाने का भारी दबाव था और इससे यह सुनिश्चित किए जाने में मदद मिलेगी कि ग्राहक पूरी रकम नहीं निकालेंगे।
इस समय एनपीएस का ग्राहक सेवानिवृत्ति के बाद (सरकारी कर्मचारियों के संबंध में) या 60 वर्ष की उम्र पूरी करने पर (दूसरे ग्राहकों के लिए ) ही रकम निकाल सकते हैं।
इसमें भी कुल कोष के 40 प्रतिशत हिस्से का इस्तेमाल एन्युइटी खरीदने के अवश्य इस्तेमाल होना चाहिए। अगर कोई ग्राहक अवधि पूरी होने से पहले निकलना चाहता है तो जमा कोष के 80 प्रतिशत हिस्से का इस्तेमाल एन्युइटी खरीदने के लिए होना चाहिए और बाकी रकम उसे एकमुश्त दी जाएगी।
नए मसौदा परिपत्र में ग्राहक 10 साल बाद 25 प्रतिशत रकम निकाल सकते हैं, न कि कोष (एनपीएस का ग्राहक बनने के बाद प्राप्त प्रतिफल शामिल नहीं)से। ऐसा कुछ खास उद्देश्यों जैसे मकान खरीद, स्वयं या पत्नी एवं बच्चों की बीमारी पर आने वाले खर्च या किसी खास बीमारी के इलाज के लिए कर सकते हैं। पूरी अवधि के दौरान इस तरह की 3 निकासी की अनुमति दी जा सकती है और प्रत्येक निकासी के बीच कम से कम 5 साल का अंतर होना चाहिए। पेंशन फंड के प्रमुख ने कहा कि निकासी की शर्तें कमोबेश ईपीएफ के बराबर ही है और निकासी के बाद कुल संचित रकम बहुत अधिक नहीं हो सकती है।
हालांकि कजिन्स इन्वेस्टमेंट सर्विसेस के वित्तीय योजनाकार पॉल डिसूजा का कहना है कि एनपीएस से रकम निकासी का विकल्प देना इसके मकसद के लिए ठीक नहीं होगा क्योंकि यानी सेवानिवृत्ति के बाद एकमुश्त रकम मुहैया कराने के मकसद से एनपीएस की शुरुआत हुई है। डिसूजा का कहना है कि वास्तव में अगर एनपीएस से रकम निकासी की अनुमति दी गई तो ईपीएफ में योगदान बढ़ाना बेहतर विकल्प हो सकता है, क्योंकि यह 8-9 प्रतिशत ब्याज की गारंटी यह देता है।