गुना। बुजुर्ग माता-पिता से बात न करना भी घरेलू हिंसा की श्रेणी में आता है। पुत्रों का यह नैतिक दायित्व बनाता है कि वह उनकी सेवा और भरण-पोषण की व्यवस्था करें।
मध्यप्रदेश की स्थानीय अदालत ने एक महिला के मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। गुना निवासी 72 वर्षीय रमादेवी ने अपने पति छोटेलाल, पुत्र मनोज और विष्णु के खिलाफ अदालत में घरेलू हिंसा का आरोप लगाते हुए अर्जी दी थी।
कोर्ट ने आदेश दिया कि दोनों बेटे महिला को हर माह भरणपोषण के रूप में 1500-1500 रुपए उपलब्ध कराएंगे। महिला ने अर्जी में कहा था पति व बेटा उन्हें परेशान करते हैं और बातचीत नहीं करते। मजिस्ट्रेट ने कहा कि महिला से बात न करना और उसकी देखरेख न करना भी हिंसा की श्रेणी में आता है।