राकेश दुबे@प्रतिदिन। मध्यप्रदेश सरकार जिस अफसर की सिफारिश कर उसे आईएएस दिलाने जा रही थी उसी के घर से लोकायुक्त अकूत सम्पत्ति बरामद की, अन्य कई छोटे मोटे मामले को के साथ व्यापम जैसे बड़े मामले भी उजागर हुए है|
इतनी काली कमाई और इतने घोटाले एक दिन में तो नहीं हो सकते इस सबके लिए समय और और संरक्षण लगा ही होगा| कर्मचारी की कमीज़ मैली साबित करने वाले काले संरक्षक हाथों की जाँच ज्यादा जरूरी है|
प्रदेश के समझौता परस्त और सोते प्रतिपक्ष की जवाबदारी तब क्या थी ? अब आन्दोलन की रस्म अदायगी कर रहे हैं| तब क्या किसी को नहीं मालूम था, अब यह कहना कि हम तो पहले से ही कह रहे थे| किसी के गले न उतरने वाली बात है| सच तो यह है की सत्ता और प्रतिपक्ष के गुप्त समझौतों के बगैर ये सब घट ही नहीं सकता है| यह सुविधाजनक राजनीति का युग है, संघर्ष अपनी सुविधा तक ही प्रतिपक्ष चाहता है |
प्रदेश के राजनीतिक दलों के खातों की भी जाँच होना चाहिए| कुछ धनपशु दोनों को लाभ पहुंचा रहे हैं| इनकी पहुंच सत्ता के गलियारों में हमेशा रही है और अभी भी बदस्तूर जारी है| यह सब दिखावा है जैसे विधानसभा में स्वीकार करना, जाँच की मांग की तो बंगला नहीं मिला आदि आदि| यह नूराकुश्ति और नौटंकी है जिसे जनता समझ रही है और विकल्प की तलाश में है|