नई दिल्ली (अजीत के. सिंह)। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह 10 साल के बनवास के बाद एक बार फिर से पार्टी में अहम भूमिका निभाने जा रहे हैं।
कांग्रेस के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लोकसभा चुनाव के लिए बनने वाली रणनीति में दिग्विजय महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे। दिग्विजय को राज्यसभा सांसद के तौर पर दिल्ली बुलाने की भी यही वजह है। वहीं राज्यसभा में दिग्विजय की मौजूदगी से पार्टी अपनी बातों को अच्छे तरीके से रख पाएगी।
गौरतलब है कि इस हफ्ते होने वाले राज्यसभा के चुनाव के लिए पार्टी ने मध्यप्रदेश से दिग्विजय को अपना उम्मीदवार बनाया है। जैसा कि सूत्र बता रहे हैं आंध्र प्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश में सीधे तौर पर अपनी भूमिका दर्ज कराने के अलावा दिग्विजय लोकसभा चुनाव से जुड़ी सभी तरह की रणनीतियां बनाने में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की मदद करेंगे। इसके पहले दिग्विजय मध्य प्रदेश के सागर से लोकसभा चुनाव लडऩे की योजना बना रहे थे। पार्टी को इस बात का इल्म था कि अगर दिग्विजय लोकसभा चुनाव लड़ते हैं तो उनकी उपयोगिता मध्यप्रदेश तक सिमट कर रह जाएगी।
जबकि पार्टी उनका प्रयोग राष्ट्रीय स्तर पर करना चाहती थी। लोकसभा चुनाव को लेकर दिग्विजय की संभावित भूमिका की झलक रविवार को देखने को भी मिली। बिहार में गठबंधन की संभावनाओं पर चर्चा के लिए लोक जनशक्ति पार्टी के मुखिया राम विलास पासवान की बैठक भी दिग्विजय सिंह के साथ ही कराई गई है। दिग्विजय सिंह अपनी मर्जी से पिछले 10 साल से कोई चुनाव नहीं लड़ रहे थे। ऐसे में जब कांग्रेस की स्थिति इस लोकसभा चुनाव में कमजोर देखी जा रही है, पार्टी दिग्विजय सिंह को तारनहारों की सूची में शामिल करना चाहती है।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने भाजपा और नरेन्द्र मोदी से पूछा है कि गरीबों का अस्तित्व स्वीकार किए बिना वे गरीबी मिटाने की योजना भला कैसे बना सकते हैं। सिंह ने ‘ट्विटर’ पर कहा है कि उन्होंने यह इसलिए पूछा है क्योंकि गुजरात सरकार को लगता है कि ग्रामीण इलाकों में जो लोग 11 रुपए प्रतिदिन और शहरी इलाकों में जो 17 रुपए प्रतिदिन कमाते हैं वे गरीब नहीं हैं।