गुडन्यूज: गुरूजी और पर्यवेक्षक बिना परीक्षा बनेंगे संविदा शिक्षक

भोपाल। गांव गांव में टूटे हुए स्कूलों में वर्षों से बच्चों को पढ़ा रहे गुरूजी एवं पर्यवेक्षक अब बिना परीक्षा के संविदा शिक्षक वर्ग 3 बन जाएंगे। इस हेतु शासन ने औपचारिकताएं पूरी कर लीं हैं। इससे 7,713 गुरुजी एवं पर्यवेक्षकों को नौकरी मिल जाएगी।

राज्य शासन ने मध्यप्रदेश शिक्षा गारंटी स्कीम के अंतर्गत वर्तमान में कार्य कर रहे गुरुजी एवं पर्यवेक्षकों का परीक्षा लिये बिना संविदा शाला शिक्षक श्रेणी-3 के पद पर नियोजन करने का निर्णय लिया है। इस संबंध में स्कूल शिक्षा मंत्री श्री पारस जैन द्वारा विशेष प्रयास किये गये थे। नियोजन की कार्यवाही का लाभ 7,713 गुरुजी एवं पर्यवेक्षकों को मिलेगा। नियोजन के लिये मध्यप्रदेश पंचायत शाला शिक्षक (नियोजन एवं सेवा की शर्तें) नियम-2005 के नियम में संशोधन करते हुए उपनियम स्थापित करने के लिये विगत 28 दिसम्बर, 2013 को अधिसूचना जारी की गई थी।

स्थापित किये गये उपनियम के अनुसार ऐसे गुरुजी एवं पर्यवेक्षक, जो वर्तमान में शिक्षा गारंटी स्कीम के अंतर्गत कार्य कर रहे हैं, उन्हें संविदा शाला शिक्षक वर्ग-3 के पद पर परीक्षा लिये बिना नियोजित किया जा सकेगा, इसके लिये राज्य सरकार द्वारा प्रक्रिया निर्धारित की जायेगी। ऐसे गुरुजी और पर्यवेक्षक, जो नियमानुसार विहित शैक्षणिक अहर्ताएँ रखते हों, उन्हें नियोजन के 3 वर्ष पश्चात इस शर्त के आधार पर सहायक अध्यापक के पद पर संविलियन किया जायेगा कि वे 3 वर्ष के भीतर डी.एड. प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। शासन ने नियोजन की कार्यवाही पूर्व में 18 मई, 2012 को जारी आदेश के अनुसार करने के निर्देश दिये हैं।

गुरुजी एवं पर्यवेक्षक के उच्चतर माध्यमिक प्रमाण-पत्र परीक्षा अथवा समकक्ष न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता की जाँच परीक्षा की अंक-सूची की मूल प्रति से की जायेगी। डुप्लीकेट अंक-सूची/प्रमाण-पत्र होने पर उसकी पुष्टि संबंधित बोर्ड/मण्डल से करवाई जायेगी। नियुक्ति की अर्हता रखने वाले गुरुजी एवं पर्यवेक्षक की अधिकतम आयु 62 साल से अधिक नहीं होगी। शिक्षा गारंटी शाला के गुरुजियों के नियुक्ति आदेश अथवा अनुबंध का मूल प्रति से मिलान करवाया जायेगा। 

दिनांक एक जनवरी, 1998 के बाद नियुक्त गुरुजियों के नाम की पुष्टि जिला ईजीएस समिति की बैठक की कार्यवाही विवरण के आधार पर उसके बाद जारी आदेश/स्वीकृति से करवाई जायेगी। ऐसे गुरुजी ही नियोजन के पात्र होंगे, जो नियुक्ति/अनुबंध की तिथि 19-7-2005 के पूर्व की हो तथा वे वर्तमान तक मानदेय प्राप्त कर रहे हों। शिक्षा गारंटी शालाओं में कार्यरत गुरुजी की सेवा की निरंतरता की पुष्टि उनकी उपस्थिति एवं मानदेय के सत्यापक-पत्रक से करवाई जायेगी। नियुक्ति संबंधी वाद न्यायालय में प्रचलित होने की स्थिति में उसे न्यायालय के अधीन रखा जायेगा। अनुशासनात्मक कार्यवाही से दण्डित होने पर नियुक्ति नहीं होगी। अन्य परिस्थितियाँ उत्पन्न होने पर विशेष प्रकरण मानकर उसका निराकरण राज्य शिक्षा केन्द्र से मार्गदर्शन लेकर किया जायेगा।

शिक्षा गारंटी शालाओं के पर्यवेक्षकों के नियुक्ति आदेशों का मिलान मूल प्रति से करवाया जायेगा। नियुक्ति की पुष्टि जिला कार्यालय में उपलब्ध प्रति तथा जनपद पंचायत द्वारा जारी आदेश से करवाई जायेगी। ऐसे पर्यवेक्षक ही नियोजन के पात्र होंगे, जिनकी नियुक्ति/अनुबंध की तिथि से, जो कि 31 दिसम्बर, 2000 के पूर्व की हो तथा वर्तमान तक वे नियमित रूप से मानदेय प्राप्त कर रहे हों। 

न्यायालयीन प्रकरणों एवं अनुशासनात्मक कार्यवाही से दण्डित मामलों की स्थिति भी वही होगी जो गुरुजियों के लिये निर्धारित की गई है। इस कार्य को सम्पादित करने के लिये जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी की अध्यक्षता में जिला-स्तरीय छानबीन समिति गठित की जायेगी। समिति में कलेक्टर का प्रतिनिधि, डीईओ, सहायक आयुक्त आदिवासी विकास/जिला संयोजक आदिम-जाति कल्याण, डाइट प्राचार्य, जिला प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी सदस्य होंगे। जिले का ओआईसी विशेष आमंत्रित सदस्य तथा डीपीसी सदस्य सचिव होंगे।

छानबीन समिति द्वारा तैयार अनंतिम सूची सूचना-पटल पर चस्पा कर आपत्तियाँ आमंत्रित कर उसका निराकरण करवाया जायेगा। कलेक्टर से अंतिम सूची पर अनुमोदन लेकर उसे जारी किया जायेगा। समिति द्वारा तैयार अंतिम सूची पर सभी सदस्य के हस्ताक्षर होंगे एवं उनके द्वारा यह प्रमाण-पत्र अंकित किया जायेगा कि 'शासन आदेश की उपरोक्त कण्डिकाओं में उल्लेखित बिन्दुओं पर प्रत्येक गुरुजी एवं पर्यवेक्षक का परीक्षण किया गया है एवं अंतिम सूची शासन के मापदण्डों एवं निर्देशों के अनुरूप ही तैयार की गई है''। 

सूची पर जिला कलेक्टर के अनुमोदन के बाद अंतिम चयन सूची संबंधित जनपद पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को नियोजन के लिये उपलब्ध करवाई जायेगी। नियोजित होने के बाद गुरुजी और पर्यवेक्षक को निर्धारित संविदा पारिश्रमिक राशि का भुगतान नियुक्ति दिनांक से किया जायेगा। प्राथमिक शालाओं में वर्तमान में कार्यरत गुरुजी एवं पर्यवेक्षक की नियोजन संबंधी कार्यवाही भी इसी प्रकार होगी।

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