भोपाल। विधानसभा चुनावों से व्यस्त हुए मध्यप्रदेश शासन के अफसर शायद सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की छात्रवृत्ति जारी करना भूल गए। पूरा सत्र बीतने को है परंतु अब तक छात्रवृत्ति नहीं मिली है। यदि ये स्टूडेंट्स सीएम से सीधी बात कर पाते तो शायद यही कहते 'अरे शिवराज मामा, पूरा साल गुजर गया, अब तो हमारी छात्रवृत्ति भेज दो।'
मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलो में पड़ने वाले कक्षा पहली से बारहवी तक के लाखो गरीब वर्ग के बच्चो को लगता है इस वर्ष छात्रवृति शायद ही नसीब होगी ! शैक्षणिक सत्र समाप्ति की और आया है एवं स्कूलो में एक पखवाड़े बाद वार्षिक परीक्षा का दौर शुरू हो जायेगा लेकिन अभी तक छात्रो को छात्रवृति वितरण की प्रदेश में सुगबुगहाट भी नहीं है।
प्रदेश के गरीब तबके के लाखों छात्र छात्राओ की नई ड्रेस पहनने कि उम्मीदे छात्रवृति के इंतजार में शायद उम्मीद बनकर ही रह जाने वाली है। सत्र बीतता चला जा रहा है और छात्रों कि छात्रवृति कि आस धुंधली सी होती जा रही है। इस वर्ष समग्र समेकित छात्रवृति योजना लागु होने के कारण विभिन्न प्रकार के प्रमाण पत्रो कि अनिवार्यता के चलते प्रदेशभर के सरकारी स्कूलो में कागजो कि खाना पूर्ति के चलते लाखों छात्र छात्राओं को छात्रवृति भुगतान अभी तक नहीं हो पाया है।
नित नये नियमो और संशोधनों के चलते शिक्षक को उसके मूल कर्त्तव्य से विमुख कर समेकित छात्रवृति योजना कि तहत छात्रवृति वितरण करने के लिए कागजो कि खानापूर्ति करने में ही उलझाकर रखा हुआ है। माननीय मुख्यमंत्री महोदय से छात्रहित को ध्यान में रख कर निवेदन है कि वे विशेष प्रयास कर छात्रवृति वितरण योजना का सरलीकरण कर प्रदेश के लाखो गरीब तबके के बच्चो को सत्र समाप्ति के पूर्व छात्रवृति दिलवाने कि पहल करे अन्यथा प्रदेश के लाखो छात्रो कि छात्रवृति कागजों के फेर में उलझ कर ही रह जायेगी।
अरविन्द रावल
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