भोपाल। वो बिहार के मुजफ्फरपुर का रहने वाला है एवं 13 साल पुराने मामले में सीबीआई को उसकी तलाश है। उस पर 50 हजार रुपए का इनाम भी है। बावजूद इसके कोई उसे पहचान नहीं पाया। वो आया और ग्वालियर से बेरोजगारों को चूना लगाकर चला गया।
सीबीआई की फाइलों में उसका नाम सचेंद्र शर्मा दर्ज किया गया है। इसके बाद पता चला कि उसने अपना नाम सच्चिदानंद शर्मा बताया है और ग्वालियर में वह सत्येन्द्र शर्मा के नाम से रहने आया था। यहां रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर उसने डेढ़ दर्जन से ज्यादा बेरोजगारों को करीब 2 करोड़ का चूना लगाया और फरार हो गया।
बाद में जब असलियत पता चली तो ग्वालियर के शिववीर सिंह भदौरिया ने सत्येंद्र के खिलाफ मुजफफरपुर/बिहार जिले के ब्रह्रापुरा थाने में एफआईआर दर्ज करायी है। इसमें उसने रेलवे में नौकरी के नाम पर 60 लाख की ठगी का आरोप लगाया है। मामले की जांच का जिम्मा दारोगा शिवदयाल राम को दिया गया है।
एफआईआर में शिववीर सिंह ने आरोप लगाया है कि जून 2010 में नई दिल्ली के पहाडगंज के एक होटल में सचेंद्र शर्मा व शहर के ब्रहापुरा के राघवेंद्र शर्मा से मुलाकात हुई। इस दौरान सचेंद्र ने पूर्व मध्य रेलवे में नौकर दिलाने का दावा किया। ग्रुप सी में बहाली के लिए प्रत्येक लडकों से 6लाख रूप्ये मांगे। भदौरिया ने अपने बेटे अमरजीत सिंह एंव उसके 9 मित्रों के लिए 25 जुलाई 2010 को शहर स्थित उनके आवास पर कुल 60 लाख रूपए दे दिये।
करीब एक माह बाद उसने रेलवे की फर्जी बेबसाईट पर उक्त सभी का रिजल्ट दिखाते हुए सोनपुर रेल मंडल अस्पताल में उसकी मेडिकल जांच भी कराई। नियुक्ति पत्र घर पर पहुंचने की बात कहते हुए धनबाद रेलवे ट्रेनिंग कालेज में ट्रेनिंग कराने का दावा किया। पर अबतक नियुक्ति पत्र नहीं मिला। बार-बार रूपए की मांग करने पर सितम्बर 2013 में सत्येंद्र ने आने-जाने के खर्च के लिए एक लाख का चेक वापस करते हुए कहा कि जल्द हीं सबकों नौकरी लग जाएगी। लेकिन अबतक किसी को नौकरी नहीं मिली।
ग्वालियर से आये अनिल गुप्ता ने भी झांसे में आकर एक दर्जन लोगों के करीब 72 लाख रूपए सचेंद्र शर्मा को दिये। हालांकि उन्होंने फिलहाल एफआईआर दर्ज नहीं कराई है। सचेंद्र शर्मा राजस्थान, हरियाणा, बिहार, मध्य प्रदेश, सहित देश के अन्य राज्यों के दर्जनों बेरोजगार युवकों से भी पूर्व मध्य रेलवे हाजीपुर में नौकरी का झांसा देकर लााखें की ठगी कर चुका है।
2011 में 35 लाख की ठगी की हुई थी एफआईआर
राजस्थान के भरथपुर जिला के सुरेश चंद्र ने सचेंद्र शर्मा पर सात सितम्बर 2011 को ब्रह्रापुरा थाने में एफआईआर कराते हुए चावल कारोबार के नाम पर 35 लाखा की ठगी का आरोप लगाया था। तब दारोगा रजनीकांत झा को मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया था। वहीं पटना के संजय संजय कुमार सिंह ने 6मार्चा 2013 को सदर थाने में एक एफआईआर दर्ज कराकर रेलवे में नौकरी के नाम पर ठगी का आरोप
लगाया था।
सीबीआई ने की थी 50 हजार ईनाम की घोषणा
सचेंद्र शर्मा को 13 साल पूर्व 1.80 करोड रूपए की फर्जि निकासी के मामले में सीबीआई तलाश रही थी। 30 नवम्बर 2001 को मुम्बई केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरों की आर्थिक अपराध शाखा ने नोटिस जारी कर सचेंद्र शर्मा की गिरफतारी के लिए 50 हजार रूप्ये के ईनाम की घोषणा की थी। कहा जा रहा है कि पटना के एक बैंक से 1999 में करीब 1.80 करोड रूप्ये के ड्राफट से मुम्बई में फर्जी खाते से उसने रूप्ये की निकासी की थी। जिसमें मुम्बई के कोर्ट से गिरफतारी का गैरजमानतीय वारंट जारी किया गया था।