ग्वालियर। परिवहन विभाग द्वारा आरक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में महिला व पुरूष के समान शारीरिक मापदंड रखने के नियम को उच्च न्यायालय ने असंवैधानिक घोषित कर दिया है। न्यायमूर्ति एसके गंगेले व न्यायमूर्ति जीडी सक्सेना की पीठ ने परिवहन विभाग के उस नियम को खारिज करते हुए माना कि महिलाओं को शारीरिक मापदंड में शिथिलता दी जानी चाहिए।
हिमाद्री राजे व अन्य ने परिवहन विभाग द्वारा नवंबर 2012 में निकाली गई परिवहन आरक्षक भर्ती प्रक्रिया के नियमों को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता नवनिधि पढारया की दलील थी कि देश के सभी प्रांतों में फोर्स की भर्ती में शारीरिक संरचना व भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर महिलाओं को पुरूष्ाों के लिए तय शारीरिक मापदंड में छूट दी जाती है।
इससे पहले मध्यप्रदेश परिवहन विभाग की भर्तियों में भी यह छूट दी जाती रही है। जबकि, इस बार मनमाने ढंग से महिलाओं व पुरूष्ाों के लिए समान शारीरिक मापदंड रखकर हजारों महिला उम्मीदवारों को आवेदन करने से वंचित कर दिया गया है।
ये थी चुनौती
वायरस याचिका में मध्यप्रदेश परिवहन विभाग अधीनस्थ-तृतीय श्रेणी कार्यकारी- सेवा भर्ती नियमावली, 2011 के नियम आठ की अनुसूची तीन को चुनौती दी गई थी। इसमें महिलाओं व पुरूषों के लिए समान शारीरिक मापदंड की पात्रता रखी गई थी।
नवंबर 2012 में परिवहन विभाग ने आरक्षकों की भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे। इसमें शुरूआत में महिलाओं के लिए 85 पद थे, लेकिन विभाग ने बाद में इसे बढ़ाकर करीब सवा सौ कर दिया था। इस नियम के कारण भर्ती के लिए केवल 40 महिलाएं मिलीं। बाद में महिलाओं के लिए आरक्षित स्थानों को पुरूष्ाों से भरा गया।