रंजीत गुप्ता/शिवपुरी। जिला अस्पताल के उन्नयन कार्य के 16 करोड़ का ठेका लेने के लिए पीडब्ल्यूडी पीआईयू द्वारा बुलाई गई निविदा में जबलपुर की फर्म सत्या इंफ्रास्ट्रक्चर ने फर्जीवाड़ा कर डाला।
सत्या इंफ्रास्ट्रक्चर ने फर्जी बैलेंस शीट और अनुभव प्रमाण पत्र लगाकर इस ठेके को प्राप्त करने की कोशिश की है। मामला पकड़ में आने के बाद इस कंपनी के प्रोपराइटर के खिलाफ अब पीडब्ल्यूडी पीआईयू के अधिकारी एफआईआर की तैयारी में हैं। सत्या इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी ने अन्य प्रतिस्पर्धी फर्मों के मुकाबले टेंडर रेट भी 2.4 प्रतिशत विलो डाले थे।
ऐसे पकड़ में आया मामला : एक शिकायत के बाद मामला पकड़ में आने पर सत्या इंफ्रास्ट्रक्चर द्वारा निविदा प्रक्रिया में जो कागजात लगाए गए थे, उनकी जांच कराई गई तो कई कागजात फर्जी निकले।
ब्लैक लिस्टेड कर होगी एफआईआर : फर्जीवाड़ा करने वाली फर्म सत्या इंफ्रास्ट्रक्चर को पीडब्ल्यूडी पीआईयू ब्लैक लिस्टेड करने की तैयारी में है। अधिकारियों का कहना है कि बैलेंस शीट और अनुभव प्रमाण पत्र जांच में फर्जी पाए गए हैं। पीडब्लूडी के पीआईयू ईई ने इस मामले में भोपाल प्रोजेक्ट डायरेक्टर को पूरी जानकारी देकर आगामी कार्रवाई के लिए मार्गदर्शन मांगा है।
यह किया सत्या इंफ्रास्ट्रक्चर ने
बैलेंस सीट : निविदा शर्तों के अनुसार फर्म की तीन साल की बैंलेंस सीट में 42 करोड़ का टर्नओवर चाहिए था। इसके लिए कंपनी ने फर्जी बैलेंस सीट बनाकर टेंडर प्रक्रिया में कागज लगाए।
अनुभव प्रमाण पत्र : निविदा में भाग लेने वाली कंपनी के पास 17 करोड़ के काम का अनुभव होना चाहिए था। सत्या इंफ्रास्ट्रक्चर ने फर्जी दस्तावेज दूसरे विभागों के लगाकर अनुभव बताया। जब इनकी जांच कराई तो फर्जी पाए गए।
दूसरी जगह भी जांच शुरू : सत्या इंफ्रास्ट्रक्चर ने मप्र में कुछ दूसरी जगह भी करोड़ों के काम ले रखे हैं। इसकी जांच की जा रही है। पन्ना के पवई में पॉलीटेक्निक कॉलेज निर्माण का कार्य जो इस कंपनी को सौंपा गया था वह निरस्त करने की कार्रवाई की जा रही है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि इस कंपनी के पास प्रदेश में 40 करोड़ से 'यादा के काम हैं। इनकी जांच की जाए तो वहां फर्जीवाड़ा पकड़ में आ सकता है।
अब होंगे दोबारा टेंडर : इस फर्जीवाड़े के बाद जिला अस्पताल के पुराने भवन के उन्नयन कार्य के लिए अब दोबारा से पीडब्ल्यूडी पीआईयू टेंडर प्रक्रिया को अंजाम देगा। सितंबर माह में कराए गए टेंडर प्रक्रिया में सत्या इंफ्रास्ट्रक्चर, झांसी की फर्म सुरेश चंद्र गुप्ता और अहमदाबाद की मोंटी कारलो फर्म ने भाग लिया था, जिसमें 2.4 प्रतिशत विलो रेट सत्या इंफ्रास्ट्रक्चर ने डाला था। अब अगले सप्ताह नए सिरे से टेंडर जारी होने की संभावना है।
तीन साल से लटका है काम : केन्द्र सरकार के राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन ((एनआरएचएम)) के तहत वर्ष 2010 में 16 करोड़ का बजट, शिवपुरी में 300 बिस्तरीय अस्पताल के विस्तार के लिए मिला था। पूर्व में पुराने जिला अस्पताल की जगह नोहरी में नए अस्पताल बनाने पर फैसला लिया गया था, लेकिन बाद में इसे पलटते हुए जिला अस्पताल भवन का ही उन्नयन कर यहां 300 बिस्तरीय सुविधाएं बढ़ाने का प्रस्ताव पास हुआ। मामला तीन साल से लटका है। अब टेंडर प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा होने के कारण कम से कम दो महीने के लिए टेंडर प्रक्रिया लटक गई है।