नई दिल्ली: पटना देश का सबसे बेरोज़गार शहर है और भोपाल में बेरोज़गारी की दर सबसे कम है। एक लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में 2009-2010 में करवाए गए एक सर्वे में यह तथ्य सामने आया है। सरकार द्वारा यह सर्वे पुरुषों में बेरोज़गारी की दर का आंकलन करने के लिए करवाया गया था जिसमें पटना नंबर एक पर रहा और भोपाल सबसे नीचे।
नैशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइज़ेशन द्वारा करवाए गए सर्वे में यह भी सामने आया कि महिलाओं में 2009-10 में बेरोज़गारी की दर 5.6% रही। जबकि 2004-05 में यह आंकड़ा 4.3% था। पुरुषों में बेरोज़गारी 3.4% ही बनी रही।
लेकिन, भारत के छोटे शहरों और कस्बों समेत पूरे शहरी इलाके में बेरोज़गारी की दर 2004-05 के मुकाबले पूरे एक प्रतिशत गिरी है जो कि यूपीए-2 के रिपोर्टकार्ड में वज़न डाल सकता है। 2004-05 में संपूर्ण बेरोज़गारी दर 3.8% थी जबकि 2009-10 में यह 2.8% थी।
पटना में पुरुषों की बेरोज़गारी दर सबसे अधिक (13%) पाई गई। एक समय उत्तर प्रदेश का इंडस्ट्रियल हब रहा कानपुर दूसरे नंबर पर रहा। यहां पुरुषों में 8% बेरोज़गारी पाई गई। भोपाल में 2004-05 के मुकाबले 2009-10 में पुरुषों की बेरोज़गारी में भारी गिरावट दर्ज की गई। पहले जहां यह दर 6% थी वहीं पांच साल बाद 2009-10 में यह सिर्फ 1% रह गई। इसी तरह पश्चिम बंगाल के हावड़ा में भी बेरोज़गारी की दर 4.9% से 1.4% तक गिरी।
लुधियाना और आगरा में बेरोज़गारी दर में भारी उछाल देखा गया। लुधियाना में जहां करीब 5% की बढ़त रही वहीं आगरा में 3.5% अधिक लोग बेरोज़गार हुए।
महिलाओं के मामले में पटना के बाद चेन्नै और पुणे का नज़दीकी इंडस्ट्रियल एरिया पिंपरी-चिंचवाड़ रहे। यहां 19% महिलाएं बेरोज़गार पाई गईं।
पटना में बेरोज़गारी दर 13% तक पहुंचने के बारे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि 2009-10 में पड़े सूखे के कारण हुआ जिसके चलते शहर आने वाले लोगों को रोज़गार नहीं मिल सका।
नैशनल स्टैटिस्टिक्स कमिशन के चेयरमन प्रणब सेन ने कहा कि 2004-05 में कृषि की परिस्थितियां सामान्य थीं जबकि 2009-10 में सूखा पड़ा था। इसीलिए स्थितियां अलग हैं।
उन्होंने बताया कि सारी बातों का लब्बोलुआब यह है कि बेरोज़गारी की दर में कोई खास बदलाव नहीं आया है इसलिए जो लोग शहरों की तरफ माइग्रेट कर रहे हैं उन्हें देर-सवेर नौकरियां मिल रही हैं।
दिल्ली में भी पुरुषों और महिलाओं दोनों की ही बेरोज़ागारी दर में गिरावट दर्ज की गई। वहीं, गुजरात में जॉब सिचुएशन काफी बेहतर रही । सूरत, अहमदाबाद और वडोदरा में भी रोज़गार की परिस्थिति काफी बेहतर रही।