पॉवरफुल हुई फीस कमेटी, प्राइवेट कॉलेजों पर करेगी कंट्रोल

भोपाल. प्रवेश एवं शुल्क निर्धारण विनियामक समिति (फीस कमेटी) अब छात्रों से तय फीस से अधिक वसूलने वाले निजी कॉलेजों पर सीधी कार्रवाई कर सकेगी। कमेटी ऐसे कॉलेजों के खिलाफ जहां 10 लाख रुपए का जुर्माना लगा सकती है, वहीं निर्धारित इंटेक (सीटों की संख्या) को भी कम कर सकेगी।

अगर कोई कॉलेज छात्रों के प्रवेश नियमों की अनदेखी करता है तो उसकी मान्यता भी समाप्त करने की सिफारिश कमेटी संबंधित अथॉरिटीज से कर सकती है। अभी तक समिति सिर्फ ऐसे कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन से सिफारिश कर सकती थी।

यही नहीं, समिति को नियम विरुद्ध छात्रों के प्रवेश को निरस्त करने का भी अधिकार मिल गया है।  मध्यप्रदेश निजी शिक्षण संस्था (प्रवेश का विनियमन एवं शुल्क का निर्धारण) संशोधन विधेयक 2013 को राजभवन ने मंजूरी दे दी है। संशोधित विधेयक मप्र राजपत्र में प्रकाशित हो चुका है। फीस कमेटी के चेयरमैन प्रो. टीआर थापक ने इसकी पुष्टि की है।

प्रो. थापक के अनुसार अब फीस कमेटी नियम का उल्लंघन करने वाले कॉलेजों के खिलाफ सीधी कार्रवाई कर सकेगी। ऐसे किसी निजी कॉलेज, जिसके खिलाफ तय फीस से अधिक राशि वसूलने, केपिटेशन फीस लेने या मुनाफाखोरी जैसी शिकायतें आती हैं तो कमेटी के पास कॉलेज की जांच करने का अधिकार होगा। यही नहीं, कमेटी राज्य सरकार या संबंधित विश्वविद्यालय या समुचित प्राधिकारी के आदेश पर संबंधित विभाग द्वारा तैयार की गई किसी निरीक्षण रिपोर्ट का भी संज्ञान ले सकेगी। हालांकि, कमेटी के अफसरों के मुताबिक अगले तीन सालों के लिए फीस तय करने के बाद अभी तक कमेटी के पास किसी भी कॉलेज के खिलाफ कोई शिकायत नहीं आई है।

कमेटी को यह अधिकार मिले
- नियमों का उल्लंघन करने की शिकायत सही मिलने पर संस्था पर १क् लाख रुपए तक का जुर्माना। साथ ही 12 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज वसूलना।
- नियम विरुद्ध प्रवेशित छात्र का प्रवेश अवैध घोषित करना। विश्वविद्यालय को ऐसे छात्र का नामांकन निरस्त करने तथा उसके परीक्षा परिणाम को निरस्त करने की सिफारिश करना।
- कॉलेज में निश्चित समय के लिए प्रोफेशनल कोर्स में प्रवेश रोकना।
- विश्वविद्यालय या संबंधित समुचित प्राधिकारी से संस्था की मान्यता वापस लेने की सिफारिश करना।

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