जेल में रहेंगे आसाराम, जमानत याचिका खारिज

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भोपाल। छिंदवाड़ा आश्रम की नाबालिग छात्रा के यौन उत्पीड़न के आरोपी आसाराम की जमानत याचिका जोधपुर कोर्ट ने खारिज कर दी है. कोर्ट में मंगलवार से इस पर सुनवाई चल रही थी. अब आसाराम 14 दिन तक न्यायिक हिरासत में रहेंगे.

हालांकि बचाव पक्ष के वकीलों ने कहा है कि आदेश के अध्ययन के बाद वे हाई कोर्ट में जमानत के लिए अप्लाई करेंगे. वहीं सरकारी पक्ष ने कहा कि उनके तर्कों की जीत हुई और अदालत ने आसाराम को रिहा नहीं किया क्योंकि वह बाहर आकर सबूत औऱ जांच प्रभावित कर सकता था.आसाराम फिलहाल जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद है.

आसाराम ने अपनी जमानत के लिए दिल्ली और मुंबई के आला वकीलों की फौज जुटा रखी थी. वह सुबह से जेल में बेचैन टहल रहे थे और दो वकील जमानत की अर्जी पर आया फैसला बताने के लिए वही बैठे थे. मगर शाम को पांच बजे दिए अपने फैसले में कोर्ट ने उनकी उम्मीद तोड़कर फैसला दिया. अब हाई कोर्ट में बहस तक तो उनका जेल में रहना तय ही है.

ये हैं आसाराम की जमानत खारिज होने की दो वजहें

आसाराम का वकील कह रहा था कि लड़की बालिग है और इसलिए नाबालिग के यौन उत्पीड़न के तहत दर्ज की गई एफआईआर को खारिज कर दिया जाना चाहिए. मगर सरकारी पक्ष ने लड़की का हाई स्कूल का सर्टिफिकेट पेश किया और सुप्रीम कोर्ट के एक मामले की नजीर दी.

आसाराम का वकील बोला कि मेरा मुवक्किल बहुत बूढ़ा और बीमार है, उसे मेडिकल मदद चाहिए. इस पर सरकारी पक्ष ने कहा कि आदमी बूढ़ा तब होता है, जब दिमाग कुछ और सोचे और शरीर उसे मानने से इनकार कर दे. आसाराम पूरी तरह से सक्रिय हैं, जगह-जगह जाकर प्रवचन दे रहे थे, अब अचानक बीमारी की बात होने लगी.

बेल खारिज होने में दूसरा अहम प्वाइंट रहा, आसाराम के दो भगोड़े वांछितों शिल्पा और प्रकाश का पुलिस की गिरफ्त से दूर होना. सरकारी वकील आनंद पुरोहित ने तर्क दिया कि अगर आसाराम जेल पर बाहर आता है, तो केस की जांच प्रभावित करेगा और बाकी आरोपियों को बरगला सकता है.

पुलिस, पीड़ित और मीडिया को धमकी का भी रहा एंगल

राजस्थान पुलिस के एसीपी चंचल शर्मा ने ऑन रेकॉर्ड बताया कि उनके डीसीपी को लगातार धमकियां मिल रही हैं आसाराम के गुट की तरफ से. पीड़ित लड़की के पिता ने भी कोर्ट में बताया कि उन्हें मामला वापस लेने की धमकियां दी जा रही हैं. कोर्ट के फैसले के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों ने भी आसाराम का मामला कमजोर किया.

बोले सरकारी वकील, मेरे पास हैं 100 हथियार

जीत के जोश से भरे आनंद पुरोहित ने पहले तो मीडिया को अनुशासन पर ज्ञान पिलाया. फिर कहा कि मेरे ख्याल से ऐसे कृत्य करने वाले को इससे बड़ा झटका हिंदुस्तान में कोई न्याय पालिका नहीं दे सकती. न्याय सबको बराबर मानता है. आदमी बड़ा या छोटा नहीं होता. मैं धन्यवाद देता हूं मीडिया को कि ऐसे मैटर को बखूबी उठाया है. आखिरी में पुरोहित बोले कि उनके पास एक हथियार था, तो मैं भी बहस में 100 हथियार लेकर गया था.


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