अनुष्ठान के बहाने पीड़िता को पिछले गेट से अपने कमरे में ले गए थे आसाराम

भोपाल। आसाराम बापू नाबालिग पीड़िता को अनुष्ठान के बहाने मणाई (जोधपुर) स्थित आश्रम में पिछले दरवाजे से अपने कमरे में ले गए थे। उस समय अनुष्ठान के भ्रम में उसके माता-पिता कमरे के बाहर प्रार्थना कर रहे थे। अब तक की जांच में यह बात सामने आई है।

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छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश) और शाहजहांपुर (उत्तर प्रदेश) गईं पुलिस टीमों ने भी जांच शुरू कर दी है। पुलिस के मुताबिक, पीड़िता आसाराम के पास नहीं जाना चाहती थी पर परिजनों की अंधभक्ति के कारण उसे आश्रम जाना पड़ा। 15 अगस्त की रात आसाराम के आदेश पर पीड़िता और उसके माता-पिता आश्रम में उनके कमरे के पास माला फेर रहे थे। आसाराम मुख्य दरवाजे से कमरे में घुसे। फिर वह पिछले दरवाजे से इलाज के बहाने पीड़िता को कमरे में ले गए।

वारदात के बाद पीड़िता ने कमरे के बाहर बने स्नानघर में हाथ-मुंह धोया और फिर परिजनों के पास चली गई। पुलिस पूछताछ में नवयुवती ने कमरे और स्नानघर में लगी वस्तुओं के बारे में सटीक उत्तर दिया। अब पुलिस पीड़िता को कमरे में ले जाने के बाद के घटनाक्रम की पुष्टि में लगी है। वारदात के दूसरे दिन आसाराम ने सेवादारों को निर्देश दिया कि पीड़िता को माता-पिता के साथ रेलवे स्टेशन पहुंचा दिया जाए।

बताया गया है कि पीड़िता घटना के बारे में किसी को बता नहीं दे, इसी संदेह पर आसाराम ने यह कदम उठाया। उन लोगों के ट्रेन से रवाना होने के बाद आसाराम को तसल्ली हुई और वह फ्लाइट से दिल्ली के लिए निकले। इस बीच पुलिस ने पीड़िता की मां के साथ ही उसके बड़े भाई से बातचीत कर सुबूत जुटाने की कोशिश की। उधर छिंदवाड़ा में पिता के साथ गई पुलिस ने पीड़िता के छोटे भाई को आश्रम से मुक्त कराने के साथ ही उसके बयान लिए। बताते हैं कि इस दौरान पुलिस ने आश्रम की कई छात्राओं से भी पूछताछ की।

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