अजय सिंह/भोपाल। 05 करोड़ रूपये खर्च कर युवा सम्मेलन आयोजित कर युवाओं को स्वरोजगार देने की घोषणा अपने नाम से करके मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर प्रदेश की 21 लाख युवा शक्ति से धोखाधड़ी की है।
यह योजना भारत सरकार एक वर्ष पूर्व सभी राज्यों के लिए लागू कर चुकी है जिसमें युवाओं को स्वरोजगार देने के लिए 50 लाख रूपये तक लोन देने का प्रावधान है। शिवराज सिंह चौहान एक ओर तो वे चुनाव नजदीक आते देखकर युवाओं को लुभाने का अभियान चला रहे है वहीं उनके ही संरक्षण में प्रतिभाशाली छात्र पीएमटी और बीडीएस घोटालों से अपने अधिकारों और आगे बढ़ने के अवसर से वंचित हो रहे है।
21 लाख युवा बेराजगारों के प्रदेश में अगर मुख्यमंत्री वाकई में युवाओं के भविष्य को लेकर चिंतित है तो वे तत्काल पीएमटी, बीडीएस घोटाले की सीबीआई से जांच कराएं, व्यवसायिक परीक्षा मंडल द्वारा 2005 से आज तक ली गई सभी परीक्षाओं पर श्वेत पत्र जारी करें।
युवा पंचायत के बाद युवा सम्मेलन का आयोजन से लगता है कि मुख्यमंत्री को चुनाव नजदीक आते देख आपको अचानक युवाओं की याद आई है। युवाओं को वोट बैंक समझकर लुभाने के लिए जो योजनाएं और घोषणाएं भाजपा सरकार ने की हैं वे सब कागज पर हैं। उनका वास्तविक लाभ युवाओं को नहीं मिल रहा है।
यदि ये योजनाएं नौ साल पहले लागू की जाती तो कुछ युवाओं को जरूर लाभ मिल जाता। आज 21 लाख से ज्यादा बेरोजगार युवा अपनी नौकरी का इंतजार कर रहे हैं। यह आंकड़ा स्वयं सरकार के रोजगार कार्यालय का है। आज जिन युवाओं ने नौकरी हासिल की हैं वे अपनी उर्जा, सामर्थ्य और प्रतिभा के बल पर लगे हैं। इसमें सरकार का कोई योगदान नहीं है। यह जरूर हुआ है कि आपकी सरकार ने पीएमटी और बीडीएस परीक्षाओं में शिक्षा माफिया को संरक्षण देकर लाखों प्रतिभाशाली युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ किया है।
मुख्यमंत्री दोषियों पर कार्यवाही करने में पीछे हट गये हैं। मैं मुख्यमंत्री महोदय से पूछना चाहता हूं कि जिन प्रतिभाशाली युवाओं के जीवन में शिक्षा माफिया ने अंधेरा ला दिया है उनके लिये सरकार के पास क्या योजना है। ऐसे प्रतिभाशाली युवाओं का कीमती समय खराब हुआ और जो नुकसान हुआ सरकार उसे पूरा नहीं कर सकती। इस पूरे मामले में सरकार ने जो रवैया अपनाया है वह इसके मूल अपराधियों को बचाने का हैं।
आज तक अजय शंकर मेहता जो कि जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष है उनसे पूछताछ नहीं हुई है। इसके साथ ही पंकज त्रिवेदी जो व्यापमं के परीक्षा नियंत्रक और संचालक थे उन्हें मात्र पद से हटाकर बचा लिया गया जो कि सीधे-सीधे तकनीकी शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के खासमखास है। पीएमटी घोटाले ने पूरे व्यवसायिक परीक्षा मंडल की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। युवाओं से गहरी जुड़ी इस संस्था में जिस तरह घोटाले हो रहे हैं उसने प्रतिभाशाली, मेधावी और नौकरी तथा व्यवसायिक शिक्षा में प्रवेश पाने वाले वजिब हकदारों के साथ न केवल धोखा है बल्कि उनके साथ अन्याय हुआ। मुख्यमंत्री को देश के इस स्वर्णिम भविष्य की कोई चिंता नहीं है।
मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना को नौ साल पहले क्यों नहीं लागू किया। इसका सच यह है कि भारत सरकार ने पिछले साल ही भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक के साथ मिलकर छोट-छोटे उद्योग धंधे करने वाले युवाओं के लिए सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्रेडिट गारंटी निधि ट्रस्ट स्थापित की है। इसमें युवाओं और महिला उद्यमियों को 50 लाख तक के लोन पर ट्रस्ट क्रेडिट गारंटी दी जा रही है।
इस मामले में भी आपने युवाओं के साथ धोखाधड़ी की। आपने अपने नाम से स्वरोजगार योजना बना दी जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हो गई। बैंकों को सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्रेडिट गारंटी निधि ट्रस्ट के संबंध में जानकारी तो है लेकिन मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना की जानकारी उन्हें नहीं है। यदि मुख्यमंत्री सच बोलते कि यह भारत सरकार की योजना है इसका लाभ लें तो ज्यादा युवाओं को लोन मिलता।
मैं मुख्यमंत्री से मांग करता हूं कि अगर वाकई में युवा पीढ़ी के भविष्य के प्रति चिंतित है तो सबसे पहले पीएमटी और बीडीएस घोटाले की सीबीआई से जांच कराएं। दूसरा वर्ष 2005 से आज तक व्यवसायिक मंडल द्वारा ली गई परीक्षाओं पर श्वेत पत्र जारी करें ताकि सच्चाई सामने आ सके और बैंको को यह स्पष्ट करें कि युवाओं को जो लोन दिया जाना है वह भारत सरकार की सूक्ष्म एवं लघु उद्यम क्रेडिट गारंटी निधि ट्रस्ट के अंतर्गत है।
- लेखक श्री अजय सिंह मध्यप्रदेश विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता हैं।