राकेश दुबे@प्रतिदिन। मुख्यमंत्री यात्रा पर निकले हैं| प्रतिपक्ष के नेता उन पर और वे प्रतिपक्ष के नेता पर आरोप लगा रहे हैं| दोनों के विषय एक ही है – डम्पर| दोनों के आरोप एक जैसे हैं, वे कहते हैं इनके डम्पर गलत ये कहते हैं,उनके डम्पर गलत| अब फैसला कैसे हो|
अदालत में भी मामला गया और उसके निर्देश भी बलाए ताक रख दिए गये| सब जानते है राजनीति में आने से पहले नेताओं के पास क्या होता है ? और हर साल में वृद्दि हजार गुना कैसे होती है| सारी व्यापारिक बुद्धि को ठेंगा दिखाते हैं, इस नस्ल के लोग|
चुनाव आने के साथ एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप, और बाद में गलबहियाँ | जनता की आँखों में धूल झोक्ने की प्रतियोगिता मध्यप्रदेश में हो रही है | कोई वादा गिना रहा है, कोई वादा भुना रहा है | दोनों यह मानाने को तैयार नहीं, उन्होंने जो किया वह उसके लिए वेतन और भत्ते लेते रहे है | एक नौकरशाह से ज्यादा | अतिरिक्त लाभ परिवारजन, इष्टमित्र और आढतियों ने लिया सो अलग |
नौकरशाहों की नौकरी इनकी कृपा पर चलती है, कुछ की पीठ पर ठप्पा तो किसी के गले में लाकेट स्वामी भक्ति का प्रतीक होता है | आंकड़े तो जैसे चाहे तैयार मिलते हैं | इन आंकड़ो की बाजीगरी से विज्ञापन क्षुधा को तृप्त किया जाता है | मध्यप्रदेश के भोले निवासियों की आँख में धूल मत झोंकिये, नौटंकी बंद कीजिये | सेवा की कसम खाई है, बस वही कीजिये |
- लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रख्यात स्तंभकार हैं।
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