हर सुबह अखबारों में अपने सीएम को तलाशते रहते हैं अतिथि शिक्षक

भोपाल। कई दिनों से इंतजार कर रहे थे गुरुपूर्णिमा का की इस दिन मुख्यमंत्री हमारे लिए घोषणा करेंगे और एक दिन हम भी संविदा शिक्षक बनेंगे, इस उम्मीद से लगातार स्कूलों में संविदा शिक्षक से भी कम पगार पर काम रहे अतिथि शिक्षक इस दिन मुख्यमंत्री की ओर ठीक वैसी ही मासूम निगाहों से देख रहे थे जैसे कोई बालक अपनी मॉ की ओर ताकता है किन्तु माननीय मुख्यमंत्री जी ने तो मंच से अतिथि शिक्षक की बात ही नहीं कही।

अतिथि शिक्षक कतार में हैं, आखों में उम्मीद लिए कड़ी तपस्या कर रहे हैं। उनकी कोई यूनियन नहीं है, वो आंदोलन का विचार बनाते भी है तो प्राचार्य उन्हें पैनल से बाहर कर सकते है और नये को अतिथि रखने की धमकी देते है क्योकि उनका कोई अस्तित्व नहीं है। उन्हें सरकार उपयोग करती है और डिस्पोजल की तरह फेंक दिए जाते है, दया के पात्र हैं और करुणा भरी निगाहों से हर रोज अखबारों में केवल एक ही खबर तलाश रहे हैं कि कब सरकार अतिथि शिक्षक भर्ती परीक्षा और बोनस अंकों की घोषणा करेगी।

अतिथि शिक्षक संगठित नहीं है, इसलिए आवाज नहीं उठा सकते, विधानसभा में भी शायद ही कोई उनकी बात रखने का प्रयास करे। मात्र आठ माह की अस्थाई नौकरी के लिए भी सरकार का आभार जता रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वयं अटल ज्योति अभियान के उदघाटन में जगह जगह मौखिक रूप से कहा था की में आपकी विभागीय पात्रता परीक्षा में बोनस अंक देकर भारती करूँगा । अब वो इस उम्मीद से रोज अखबार देखते हैं कि शायद सीएम को अपनी घोषणा याद आ जाए और बोनस अंकों के आदेश जारी कर दें। 
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