मध्यप्रदेश में शिवराज V/S ज्योतिरादित्य जंग तय: राहुल का ग्रीन सिग्नल

भोपाल। मध्यप्रदेश की जमीनी स्थिति जानने के बाद दिल्ली पहुंचे राहुल गांधी ने मान लिया है कि मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ यदि कोई लोकप्रिय चेहरा कांग्रेस उतार सकती है तो वह केवल और केवल ज्योतिरादित्य सिंधिया ही हो सकते हैं। इसके लिए उन्होंने तैयारियां शुरू कर दीं हैं।

राहुल गांधी को मध्यप्रदेश चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया जाएगा एवं शिवराज के सामने संकट पैदा किया जाएगा। इधर दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, भूरिया, यादव और पचौरी सहित तमाम नेता अपने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए कांग्रेस को मजबूत करने का काम करेंगे। राहुल ने इस संदर्भ में मध्यप्रदेश के तमाम क्षत्रपों से चर्चा भी कर ली है और सभी की एनओसी सिंधिया के पक्ष में आ गईं हैं।

राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव की रणनीति लगभग तैयार कर ली है और वो कर्नाटक में जीत के बाद अब मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में किसी भी सूरत में हारना नहीं चाहते।

कांग्रेस मान रही है कि यदि सभी इलाकाई क्षत्रपों को एकजुट कर आंतरिक कलह और भितरघात को वह रोक सके तो मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ दोनों जगह हालात दूसरे होंगे। दोनों ही सूबों में खास तौर से आदिवासियों में पैठ बनाने को कांग्रेस पूरी ताकत झोंक रही है।

मध्य प्रदेश के धार में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश आधा दर्जन बड़ी जनसभाएं करेंगे, जिसमें उनसे जुड़ी विकास योजनाओं के बारे में बताया जा रहा है। पिछली बार इसी क्षेत्र से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था। इसी तरह छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में जहां, गत चुनाव में कांग्रेस का सूपड़ा साफ था, वहां भी पार्टी बेहद ध्यान दे रही है।

केंद्रीय योजनाओं व राज्य सरकार के प्रति सत्ता विरोधी लहर को भुनाने के लिए मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेतृत्व ने ऊर्जा मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को पार्टी की तरफ से पेश करने का फैसला कर लिया है। उन्हें जल्द ही राज्य चुनाव अभियान समिति की जिम्मेदारी देकर इसके संकेत भी दे दिए जाएंगे।

राहुल गांधी मध्य प्रदेश पर अलग-अलग करीब आधा दर्जन बैठकें कर चुके हैं। इनमें राज्य के पार्टी प्रभारी महासचिव बी.के. हरिप्रसाद से लेकर वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह तक से सघन चर्चाएं हुई हैं।

राहुल का मानना है कि मध्य प्रदेश में यदि कांग्रेसी ही कांग्रेस को न हराएं तो शिवराज सरकार को हराना असंभव नहीं। भाजपा को एक चेहरा होने का फायदा है, उसे ध्वस्त करने को कांग्रेस ने युवा नेता ज्योतिरादित्य पर दांव लगाने का मन बना ही लिया है।

अब कांग्रेस के सामने चुनौती है धड़ों में बंटी कांग्रेस को मिलकर चुनाव लड़ाना। टिकट वितरण में ही सबसे ज्यादा लड़ाई मुखर होती है। इसके लिए राहुल सर्वेक्षण के आधार पर सख्ती से टिकट वितरण फार्मूले पर काम कर रहे हैं। वरना तो दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, सुरेश पचौरी, सुभाष यादव, कांतिलाल भूरिया और ज्योतिरादित्य जैसे धड़े अपने-अपने लोगों के लिए पूरी जान झोंकते हैं।

कांग्रेस उपाध्यक्ष ने साफ कह दिया है कि अपने लोगों को टिकट दिलाने के बजाए सर्वेक्षण के आधार पर प्रत्याशी चुने जाएं और उन्हें सब मिलकर लड़ाएं। छत्तीसगढ़ के लिए भी इसी तरह की व्यवस्था बनाने की बात है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को काबू में रखने के बाद वहां पर गुटबाजी में थोड़ी कमी आई है। इसी आशावाद पर पार्टी अपनी रणनीति तय कर रही है।

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