राहुल गांधी का पहला टारगेट अचीव: मध्यप्रदेश कांग्रेस में मजबूरी बन गई एकता

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भोपाल। मध्यप्रदेश में दशकों से लगातार चली आ रही गुटबाजी कम से कम सार्वजनिक मंचों पर दिखाने के लिए तो खत्म हो ही गई। ग्वालियर में सिंधिया कांग्रेस और छिंदवाड़ा में कमलनाथ कांग्रेस चलाने वाले दोनों दिग्गजों ने तय किया कि वो मध्यप्रदेश कांग्रेस के साथ भी खड़े दिखाई देंगे। पीसीसी और एआईसीसी के बीच झंपिंग झपांग करने वाले दिग्विजय सिंह भी 1 जून को होने वाली मीटिंग में मौजूद रहेंगे।

अब तक मध्यप्रदेश में कांग्रेस के कई चेहरे दिखाई देते थे। हर मोड़ पर सोनिया, राहुल और मनमोहन के बाद कांग्रेस का चेहरा बदल जाता था। स्पष्ट रूप से कहा जा सकता था कि यहां सारे नेताओं की अपनी अपनी प्राइवेट लिमिटेड थी और वो कांग्रेस की फ्रेंचाइजी लिए हुए थे और यही सबसे बड़ा कारण था मध्यप्रदेश में भाजपा की बढ़त का।

लेकिन गांव गांव तक मजबूत कांग्रेस अब राजधानी में भी एकजुट दिखाई देगी। एक जून को भोपाल में पीसीसी की बैठक तय हुई है जिसमें कांग्रेस के सारे नेता एकता का संदेश देते दिखाई देंगे। कमलनाथ, सिंधिया, दिग्विजय सिंह और बीके हरिप्रसाद तो एक ही हवाई जहाज से भोपाल आ रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मनोनीत होने के बाद राहुल ने दिल्ली, मोहनखेड़ा और भोपाल में कांग्रेस नेताओं की बैठकों में सीधा संकेत दिया कि यदि सारे नेताओं ने एकसाथ कदमताल नहीं करने वाले नेताओं को महत्व नहीं मिलेगा। खास तौर से टिकट वितरण को लेकर कसावट की बात कहने के बाद अन्य नेताओं को लगा कि अब एकता मजबूरी बन गई है।

अब देखना यह है कि अपने अपने पट्ठों को सेट करने में जुटे रहने वाले नेताओं की यह एकता कब तक टिकी रहती है।

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