भोपाल। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने तय किया है कि प्रदेश के 10 जिलों में संचालित 1190 नल जल योजनाओं को भगवान भरोसे छोड़ दिया जाएगा। इन योजनाओं में लगे पंप सेट को सोलर सिस्टम से जोड़कर खर्चा और खतरा बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
प्रदेश के 10 नक्सल प्रभावित जिले अनूपपुर, बालाघाट, छिन्दवाड़ा, डिण्डोरी, मण्डला, सिवनी, शहडोल, सीधी, सिंगरौली एवं उमरिया हैं। इन जिलों में इस वर्ष लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने ग्रामीण बसाहटों की 1190 नल-जल प्रदाय योजना को सोलर-पम्प आधारित किये जाने का फैसला किया है।
विभाग ने इसके लिये बजट में 76 करोड़ का प्रावधान किया है। सोलर-पम्प आधारित पेयजल योजना से ग्रामीणों को बिजली आपूर्ति की दिक्कतों एवं भारी खर्चों से छुटकारा मिल सकेगा। सोलर-पम्प लगाये जाने का कार्य ऊर्जा विकास निगम को सौंपा गया है।
पीएचई ने पहले चरण में समस्त 50 जिलों की दो-दो नल-जल योजना में सोलर-पम्प सेट स्थापित किये जाने का फैसला किया था। भोपाल जिले में मॉडल के तौर पर सोलर आधारित तीन नल-जल प्रदाय योजनाएँ प्रारंभ भी हो चुकी हैं। सोलर आधारित नल-जल प्रदाय योजना में ड्युअल सिस्टम लगाया जा रहा है। इस कार्य के लिये राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल प्रदाय कार्यक्रम से भी राशि प्राप्त हो रही है।
समस्या क्या है
समस्या केवल इतनी सी है कि घने जंगलों में बसे इन इलाकों में बारिश और सर्दी के दिनों में जब सूर्यदेवता के दर्शन नहीं होंगे तब पानी कहां से आएगा। दूसरा यह कि बहुत कम मानव श्रम के साथ योजना का संचालन तो हो जाएगा परंतु जब जब यह सिस्टम खराब होगा, कई कई हफ्तों तक सुधर नहीं पाएगा। अपने मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारी राजधानी की फूटी पाइपलाइन जोड़ने में तीन दिन लगा देते हैं, आप खुद सोचिए सिवनी, सिंगरौली के गांव में कितने महीने लगाएंगे।