भोपाल। शिवपुरी में बीती रात एक छात्र की अपहरण के बाद हत्या से उपजे आक्रोश में शिवपुरी शहर के संस्थापक माधौराव सिंधिया की मूर्ति भी तोड़ दी गई। हंगामा कर रही भीड़ का कहना था कि जो सिंधिया शहर की रक्षा नहीं कर सकते, उनकी यहां कोई जरूरत नहीं है।
शिवपुरी शहर में पहली बार इस तरह का रिकार्ड आक्रोश देखा गया। इससे पूर्व इंदिरा गांधी के निधन के बाद हुए दंगे ही इस शहर की सबसे बड़ी सामूहिक हिंसक घटना थी परंतु बीती रात हुई घटना उससे भी कहीं ज्यादा थी।
सनद रहे कि सिंधिया राजवंश के सबसे लोकप्रिय शासक माधौराव सिंधिया प्रथम ने ही शिवपुरी शहर की स्थापना की थी। इससे पूर्व यह एक छोटा सा गांव हुआ करता था जो नरवर जिले के अधीन आता था। माधौराव सिंधिया ने न केवल इसे शहर बनाया बल्कि इसे उस समय का सबसे खूबसूरत शहर के रूप में तैयार किया। यहां तीन तालाब, चारों ओर हरियाली, खेल का मैदान, सड़कें एवं रेल यातायात की सुविधा उस जमाने में उपलब्ध करा दी गई थी जब देश में लोग बैलगाड़ियों से सफर किया करते थे।
1915 में बसा शिवपुरी शहर इतना खूबसूरत और व्यवस्थित था कि स्वयं ग्वालियर महाराज माधौराव सिंधिया ने इसे अपनी ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित कर दिया था। इसके लिए उन्होंने अपना सचिवालय एवं महल इत्यादि भी बनवाए।
शहर के प्रमुख चौराहे का नामकरण भी उन्हीं के नाम पर किया गया। माधावचौक चौराहे के नाम से प्रख्यात इसी चौराहे पर माधौराव सिंधिया प्रथम की प्रतिमा स्थापित थी। जिसे भीड़ ने बीती रात तोड़ डाला।