राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गाँधी ने देर से ही सही पर एक अच्छी बात कही है | काश ! सोनिया जी जनगणना से पूर्व बोली होतीं तो शायद जात-पात के पेड़ की जड़े और गहराई तक अपना रास्ता नहीं खोजती अब तो पेड़ लग गया है और अगले अर्थात 2014 के चुनाव में आपकी पार्टी नहीं तो ,यू पी ए का एक घटक दल और नहीं तो भाजपा अपने वोटों की खातिर उन आंकड़ों का इस्तेमाल करेगी जो जनगणना के नाम पर एकत्र हुए हैं| अब आप सरकार से स्कूल में ऐसे उपाय करने को कह रही है,जिससे जात-पात जैसी बीमारी रुके |
सरकार को दिशा देने के लिए ही राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद जैसी संस्था का गठन किया गया है | आप पर इसके अलावा यू पी ए और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की भी जवाबदारी है| आप अपने इन तीनों संगठन के सिपहसालारों का संयुक्त अधिवेशन एक साथ बुला लें तो आपकी मंशा के साथ देश को भी कुछ दिशा मिले | अभी तो सब अपनी ढपली अपना राग गा रहे हैं |
कल तक ओसामा जी और हाफिज साहब कहने वाले अब वक्त की नजाकत को देखते हुए अफजल गुरु को जल्दी फांसी दो की मांग करने लगे हैं| स्व. राजकपूर की एक फिल्म में डायलाग था की क्या करूं मेरी सूरत ही ऐसी है |अब अफजल गुरु को जल्द फांसी की मांग करनेवालों की सदाशयता को भी लोग गंभीरता से नहीं ले रहे हैं, क्या करें उनकी बातें ही वैसी हैं|
जातिवाद एक घातक जहर है ,राजनीति हर स्तर के चुनाव में इसका इस्तेमाल नये- नये उत्पाद बनाकर करती है | मध्यप्रदेश में एक बार निमंत्रण के पीले चावल घर-घर भेज कर, रायसेन जिले से वर्तमान नेता प्रतिपक्ष को विधायक नहीं बनने दिया गया था | ऐसी बहुत सी कलाकारियाँ होती है, स्कूल स्तर पर से अर्थ शासकीय स्कूल निकलता है, और वे कैसे है सब जानते हैं |