भोपाल। एज्यूकेशन सेगमेंट में हालात कितने खराब हैं इसकी एक बानगी नूतन स्कूल मामले से पता चलती है। जिसमें कॉलेज ने एक स्टूडेंट को टीसी जारी नहीं की। छात्र आयोग की शरण में गया तो प्रंसीपल ने नोटिस ही नहीं किया। अंतत: जब आयोग ने वारंट जारी किया, तब टीसी जारी हो पाई।
भोपाल में सक्रिय एज्यूकेशन माफिया छात्रों की संवेदनशीलता का पूरा पूरा फायदा उठा रहा है। पेरेंट्स किसी भी सूरत में कॉलेज प्रबंधन से बुराई लेना नहीं चाहते और इसी का लाभ उठाते हुए प्रबंधन मनमानी पर उतारू रहता है। ऐसा ही एक मामला शासकीय नूतन सुभाष हायर सेकेण्ड्री स्कूल का है। यहां एक छात्र को मांगे जाने के बावजूद टीसी नहीं दी जा रही थी। जब उसने इसकी शिकायत बाल अधिकार संरक्षण आयोग को की तो मामले में दूसरा पक्ष जानने के लिए आयोग ने नूतन स्कूल की प्रसीपल आशा शुक्ला को नोटिस जारी किया गया, परंतु प्रंसीपल आयोग के सामने उपस्थित नहीं हुईं।
इसके बाद आयोग ने दो बार रिमाइंडर भी भेजे, परंतु प्रंसीपल तब भी उपस्थित नहीं हुईं, अंतत: आयोग ने जब वारंट जारी किया, तब प्रंसीपल उपस्थित हुईं और उन्होंने आयोग को बताया कि टीसी जारी कर दी गई है।
एक अदद टीसी के लिए आयोग को भी थर्डडिग्री का इस्तेमाल करना पड़ा। यह प्रकरण इस बात का प्रमाण है कि एज्यूकेशन सेगमेंट के हालात क्या हैं और प्रबंधन से जूझने में स्टूडेंट्स व उनके पेरेन्ट्स को कितनी ताकत लगानी पड़ती है।