भोपाल। शासन का ध्यान अब मध्यप्रदेश के सरकारी कॉलेजों की तरफ भी जाने लगा है। इन बड़ी बड़ी इमारतों में स्टाफ है, मंहगे प्रोफेसर्स भी हैं, लेकिन स्टूडेंट्स तो हैं ही नहीं। फाइनली शासन ने कॉलेज प्रंसीपल्स को कहा है कि स्टूडेंट्स की प्रजेंस पर ध्यान दो, एबसेंट स्टूडेंट्स के पेरेंट्स को मैसेज करो।
एक प्रेसरिलीज में बताया गया है कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा ‘गुणवत्ता विस्तार वर्ष 2012-13 ’ में महाविद्यालय की कक्षाओं में विद्यार्थियो की उपस्थिति सुनिश्चित करने के निर्देश प्राचार्यों को दिए गए हैं। कक्षा में विद्यार्थियों की 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है।
प्राचार्य को कहा गया है कि उपस्थिति पंजी का विधिवत संधारण किया जाय। कक्षाएँ लगाने के लिए एम्बेसेडर प्राध्यापकों तथा स्थानीय स्तर से प्रतिभा बैंक के विशेषज्ञों की मदद ली जाय। छः दिन तक लगातार अनुपस्थित रहने वाले विद्यार्थियों की सूचना अभिभावकों को दी जाय। लगातार 15 दिन तक अनुपस्थित रहने वाले विद्यार्थियों को महाविद्यालय से निष्कासित करने के संबंध में प्राचार्य की अध्यक्षता में गठित अनुशासन एवं गुणवत्ता समिति द्वारा निर्णय लिए जाने के निर्देश दिए गए हैं।
अब देखना यह है कि अलाली के आदी हो चुके प्रंसीपल्स ये हम्माली करने के लिए तैयार होते हैं या...?