BHOPAL: सबके सवालों का फटाफट जवाब देने वाले व दुनिया के सबसे लोकप्रिय सर्च इंजन गूगल पर भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने लगभग 136 करोड़ का जुर्माना लगाया है। सर्च इंजन गूगल को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने अनुशासन तोड़ने तथा सर्च में पक्षपात करने का दोषी पाया है और उस पर 135.86 करोड़ रुपये का जु्र्माना ठोका है। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग का काम भारत में व्यापार में एकाधिकार के खिलाफ निगाह बनाए रखना होता है। आयोग ने गूगल को यह जुर्माना भरने के लिए 60 दिन का समय दिया है।
सीसीआई ने यह आदेश मैट्रीमोनी डॉट कॉम लिमिटेड और कन्ज्यूमर यूनिटी एंड ट्रस्ट सोसाइटी (सीयूटीएस) की ओर से आरोप लगाए जाने के बाद फैसला सुनाया है। इनका आरोप था कि गूगल ने ऑनलाइन जनरल वेब सर्च और वेब सर्च एडवर्टाइजिंग सर्विसेज क्षेत्र में अपनी बादशाहत का गलत इस्तेमाल किया।
हालांकि सीसीआई ने गूगल की स्पेशलाइज्ड सर्च डिजाइन (वन बॉक्स), एडवर्ड्स, ऑनलाइन इंटरमिडिएशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन एग्रीमेंट में किसी तरह के उल्लंघन का दोषी नहीं पाया। सीसीआई ने गूगल पर जुर्माने का फैसला 4-2 से सुनाया। 2 सदस्य इस फैसले के खिलाफ थे, जबकि चार लोग इस आरोप के पक्ष में थे।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के मुताबिक गूगल के इस कदम से प्रतिस्पर्धियों और यूजरों को नुकसान हो रहा है। इससे पहले जांच में सहयोग न करने के लिए भी सीसीआई गूगल पर एक करोड़ रु का जुर्माना लगा चुका है।भारत के बाहर भी गूगल पर इस तरह का मामले चल रहे हैं। कुछ समय पहले यूरोपीय संघ ने गूगल पर आरोप लगाया था कि वह अपने दबदबे का गलत इस्तेमाल कर रहा है। हालांकि गूगल इससे इनकार करता रहा है।
जून 2017 में सर्च इंजन में तकनीकी हेराफेरी करने के आरोप में यूरोपीय संघ (ईयू) ने गूगल पर 2.4 अरब डॉलर का (करीब 17,000 करोड़ रुपये) का जुर्माना लगाया था। गूगल के लिए यह एक और बड़ा झटका माना जा रहा था। कंपनी पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नाराजगी झेल रही थी। कंपनी पर भरोसे के हनन के लिए यह जुर्माना लगाया गया था। यूरोपीय प्रतिस्पर्धा आयोग की सख्त फैसले लेने वाली प्रमुख मार्गे्ट वेस्टेगर ने कहा था कि गूगल ने दुनिया के सबसे लोकप्रिय सर्च इंजन के रूप में अपनी प्रभावशाली स्थिति का दुरुपयोग किया और अपनी ही शॉपिंग सेवा को गैरकानूनी तरीके से लाभ पहुंचाया।
वेस्टेगर ने बयान में कहा था, "गूगल ने जो किया है वह ईयू के एंटीट्रस्ट नियमों के खिलाफ है। इसने अन्य कंपनियों को पात्रता के आधार पर प्रतिस्पर्धा और नवोन्मेषण से रोका." इससे भी महत्वपूर्ण यह है कि कंपनी ने यूरोप के उपभोक्ताओं को सेवाओं के उचित विकल्प और नवोन्मेषण के पूर्ण लाभ से वंचित किया। इस तरह के मामलों में यह जुर्माना एक रिकॉर्ड है। इससे पहले अमेरिकी चिप कंपनी इन्टेल पर 1.06 अरब यूरो का जुर्माना लगाया गया था। करीब एक साल पहले वेस्टेगर ने दुनिया और अमेरिका को झटका देते हुए आईफोन कंपनी एपल को आयरलैंड में 13 अरब यूरो के कर के पुनर्भुगतान का आदेश दिया था।