भोपाल। मप्र की शिवराज सरकार ने 26 नवम्बर को होने वाले सम्मेलन को एक बार फिर टाल दिया है। यह जानकारी देते हुए राज्य अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश यादव ने बताया कि शिवराज सिंह चौहान ने अपना अध्यापक विरोधी चेहरा फिर उजागर कर दिया। दो सालों से छठवे वेतनमान का जो सरकार उदाहरण तक जारी न करी सकी उससे शिक्षा विभाग में संविलियन और सातवें वेतनमान की बात बेमानी सी लगती है?सम्मेलन को टालने के पीछे एक चेहरा और चाल और उजागर हुई। सरकार को अपेक्षा थी कि जब एक संघ 26-26 चिल्ला रहा तो दूसरे विरोध करेंगे परंतु अध्यापक हित को सर्वोपरि मानते हुए जब राज्य अध्यापक संघ सहित संभवतः अन्य संघो ने भी 26 नवंबर की सहमति दे दी तो सरकार और उसके नुमाइंदों की चाल चारों खाने चित हो गई।
यादव ने कहा कि मैं खुद आश्चर्यचकित था कि कल तक चर्चा कर मुद्दे तय करने के बाद सम्मेलन करने वाली सरकार अचानक तैयार कैसे हो गई। संभवतः उन्हें सोशल मीडिया में लड़ते झगड़ते अध्यापक संघों के इस तरह एक हो जाने की संभावना नही थी। इस बात का भी भय हुआ होगा कि अगर कुछ न दिया तो अध्यापक कौम 27 से विधानसभा नही चलने देगी।
राज्य अध्यापक संघ सरकार को यह चेताना चाहता है कि अध्यापक संवर्ग से इस तरह का मजाक बंद करे और सभी संघो के प्रतिनिधियों को बुलाकर उनका पक्ष सुने और बताए कि सरकार क्या और कितना कर सकती है।सम्मेलन जब भी हो ऐसे माहौल में हो कि हम सभी को इस विश्वास के साथ भोपाल और सरकार के समक्ष खड़ा कर सके कि उस दिन उनका उपलब्धि वाला दिन होगा।