RTI में रामदेव की जानकारी देने वाले अधिकारियों का ट्रांसफर

नई दिल्ली। बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को नागपुर में फूडपार्क के लिए 600 करोड़ की जमीन पर 75 प्रतिशत छूट दिए जाने का विरोध करने वाले आईएएस अफसर को तो पहले ही हटाया जा चुका था। अब आरटीआई के तहत इस डील के संदर्भ में मांगी गई जानकारी देने वाले 2 अधिकारियों का भी तबादला कर दिया गया। नवभारत टाइम्स ने यह मामला उठाया। इसके बाद यह सुर्खियां बन गया है। 

इस साल मार्च में बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद को नागपुर में फूड पार्क के लिए सस्ती ज़मीन आवंटित करने से जुड़ी आईटीआई के तहत दस्तावेज़ तैयार करने वाले दो सूचना अधिकारियों (पीआईओ) का 15 दिन के भीतर तबादला कर दिया गया. बताया जा रहा है कि दोनों अधिकारियों पर कार्रवाई इसी वजह से की गई है।

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र सरकार पर आरोप है कि पतंजलि आयुर्वेद को एक करोड़ रुपये प्रति एकड़ के भाव वाली ज़मीन को सिर्फ 25 लाख रुपये प्रति एकड़ के भाव में दी गई थी। पतंजलि आयुर्वेद नागपुर में 600 एकड़ की ज़मीन पर फूड पार्क बनाना चाहती है।इससे पहले पतंजलि आयुर्वेद को लाभ पहुंचाने वाली इस डील का विरोध करने वाले आईएएस अफसर बिजय कुमार का भी तबादला कर दिया गया था। आईएएस बिजय कुमार ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को 75 प्रतिशत की छूट पर ज़मीन देने को लेकर सवाल उठाए थे। यह ज़मीन महाराष्ट्र एयरपोर्ट डेवलपमेंट कंपनी (एमएडीसी) की है।

इस मामले में दाख़िल आरटीआई से मिले दस्तावेज़ों में ज़मीन के दामों में कमी कैसे की गई, इसकी जानकारी दी गई थी। टाइम्स आॅफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, आरटीआई आवेदन दायर करने के कुछ महीनों बाद सूचना प्राप्त हुई। उसके बाद इस मामले की अपील तत्कालीन मुख्य सूचना आयुक्त रत्नाकर गायकवाड़ से की गई थी।

उन्होंने तीन मांच को सुनवाई के लिए महाराष्ट्र एयरपोर्ट डेवलपमेंट कंपनी के प्रमुख विश्वास पाटिल को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने के लिए बुलाया था। हालांकि सूत्रों के मुताबिक सिर्फ 12 दिनों के बाद मामले से जुड़े आरटीआई दस्तावेज़ों को उपलब्ध कराने में शामिल दो जन सूचना अधिकारियों (पीआईओ) का तबादला कर दिया गया। ये दोनों अधिकारी इस सुनवाई में शामिल हुए थे।

टाइम्स आॅफ इंडिया ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि एमएडीसी के मार्केटिंग मैनेजर अतुल ठाकरे नागपुर शाखा के पीआईओ थे, उन्हें मुंबई भेज दिया गया और मार्केटिंग मैनेजर समीर गोखले, जो मुंबई में पीआईओ थे, उन्हें नागपुर स्थानांतरित कर दिया गया था।

ठाकरे अपने पद पर चार साल से काम कर रहे थे, जबकि सूत्रों ने बताया कि गोखले को मार्केटिंग मैनेजर के रूप में नियुक्ति होने के चार महीने बाद ही स्थानांतरित कर दिया गया।महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र एयरपोर्ट डेवलपमेंट कंपनी के बोर्ड के अध्यक्ष हैं।

जब ठाकरे से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा, ‘पूर्व एमडी ने मुझे अपने काम के लिए पदोन्नति देने का आश्वासन दिया था, लेकिन उसके बदले अचानक मेरा तबादला कर दिया गया।’ वहीं गोखले का कहना है कि तबालता प्रशासनिक कारणों की वजह से हो सकता है।रिटायर हो चुके एमएडीसी के तत्कालीन प्रमुख विश्वास पाटिल से दोनों अधिकारियों के तबादले को लेकर प्रतिक्रिया जानने के लिए फोन और मैसेज किए गए लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया।

वर्तमान में पाटिल स्लम रिडेवलपमेंट अथॉरिटी (एसआरए) के प्रमुख के तौर पर अपने द्वारा मंजूर की गई फाइलों को लेकर जांच का सामना कर रहे हैं। एमएडीसी के एक अधिकारी ने कहा कि तबादले नियमित कारणों के चलते हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा है कि संभव है कि एक नए नियुक्त मार्केटिंग मैनेजर को नागपुर के क्षेत्रीय कार्यालय को भेजा गया हो और अनुभवी मार्केटिंग मैनेजर को मुंबई के मुख्य कार्यालय में बुला लिया गया हो।

हालांकि अचानक हुए इन तबादलों से सवाल खड़े किए जा रहे हैं। इस बारे में पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी का कहना है, ‘यह मामला साफ तौर पर अधिकारियों को परेशान करने का मामला है क्योंकि उन्होंने क़ानून का पालन किया था। यह कदम अधिकारियों को जानकारी देने के काम से निरुत्साहित कर देगा और यह एक गलत मिसाल को देगा।

महिती अधिकार मंच के संयोजक भास्कर प्रभु का कहना है, ‘तबादले का समय यह बताता है कि उन्होंने जानबूझ कर दोनों अधिकारियों का तबादला कर दिया. यह कदम आरटीआई कानून की भावना के ख़िलाफ़ है.’

प्रभु ने आगे बताया कि दोनों अधिकारियों के पास जानकारी देने के अलावा कोई चारा नहीं होता. जानकारी न देने और उसे रोककर रखने के चलते उन पर 25,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता था. साथ ही अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती थी.

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