28 हिंदुओं को मारकर दफन कर दिया था रोहिंग्या आतंकियों ने: म्यांमार

नेपितॉ। म्यांमार की सेना ने रविवार शाम कहा कि उसे एक सामूहिक कब्रगाह (Mass grave) मिली है। इसमें 28 हिंदुओं को मारकर दफन कर दिया गया था। म्यांमार आर्मी के मुताबिक, ये कब्रगाह देश के रखाइन प्रांत में है। सेना का आरोप है कि इन हिंदुओं को रोहिंग्या मिलिटेंट्स ने मारा था। न्यूज एजेंसी ने म्यांमार सेना के हवाले से यह जानकारी दी है। बता दें कि म्यांमार से रोहिंग्या मुसलमानों को निकाले जाने का मुद्दा इन दिनों इंटरनेशनल लेवल पर चिंता की वजह बना हुआ है। यूएन में भी इस पर चर्चा हो चुकी है। भारत में यह मसला सुप्रीम कोर्ट के सामने आ चुका है। 

म्यांमार आर्मी की तरफ से रविवार शाम एक बयान जारी किया गया। न्यूज एजेंसी ने इस बयान की जानकारी दी। बयान में कहा गया है कि सेना को रखाइन राज्य में तलाशी के दौरान एक सामूहिक कब्रगाह मिली है। इसमें 28 हिंदुओं के कंकाल बरामद हुए हैं। आर्मी का आरोप है कि इन हिंदुओं की हत्या रोहिंग्या मिलिटेंट्स ने की है। हत्या के बाद इनकी बॉडीज को गड्ढा खोदकर उसमें दफना दिया गया। घटना की जानकारी म्यांमार आर्मी चीफ की वेबसाइट पर भी दी गई है। घटना का आरोप अराकान रोहिंग्या सालवेशन आर्मी पर लगाया गया है। अगस्त में म्यांमार आर्मी ने इसके ठिकानों पर छापे मारे थे। हिंसक झड़पों के बाद हजारों रोहिंग्या बांग्लादेश भाग गए थे।

रोहिंग्या मुस्लिमों का मुद्दा गरम
म्यांमार में लगातार रोहिंग्या मुस्लिमों पर हो रहे टॉर्चर ने दुनिया का ध्यान खींचा है। भारत समेत यूएन भी इस मामले पर अपनी नजर बनाए हुए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, अब तक करीब 400 रोहिंग्या मुस्लिम की हत्या हो चुकी है। जान बचाने के लिए पहाड़ों और नदियों के रास्ते म्यांमार को पार कर बांग्लादेश और भारत की ओर आ रहे हैं। भारत सरकार ने कहा कि रोहिंग्या मुस्लिम अवैध प्रवासी हैं और इसलिए कानून के मुताबिक उन्हें बाहर किया जाना चाहिए। गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने इस मसले पर कहा था, "कोई भी भारत को ह्यूमन राइट्स और शरणार्थियों की सुरक्षा के बारे में नहीं सिखा सकता।" बता दें कि भारत से रोहिंग्या लोगों को बाहर किए जाने के प्रस्ताव के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की गई है और इसे संविधान के दिए अधिकारों का उल्लंघन बताया गया है।

क्या है मामला?
25 अगस्त को रोहिंग्या घुसपैठियों ने म्यांमार में पुलिस पोस्ट पर हमला किया। इसके बाद सिक्युरिटी फोर्सेस ने ऑपरेशन शुरू किया। रोहिंग्या घुसपैठियों और म्यांमार की सिक्युरिटी फोर्सेस एक-दूसरे पर अत्याचार करने का आरोप लगा रहे हैं। बर्मा ह्यूमन राइट नेटवर्क का कहना है कि इस अत्याचार के पीछे सरकार, देश के बुद्धिस्थ मोंक में शामिल तत्व और अल्ट्रा नेशनलिस्ट सिविलियन ग्रुप्स का हाथ है।

मसले से भारत क्यों जुड़ा?
म्यांमार से आए रोहिंग्या मुस्लिम दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर शरण देने की मांग कर रहे थे। वहीं, सरकार ने देश में अवैध रूप से मौजूद 40 हजार से अधिक रोहिंग्या लोगों को वापस उनके देश म्यांमार भेजने की प्रॉसेस शुरू की। म्यांमार की आर्मी की कथित ज्यादतियों के चलते रोहिंग्या मुस्लिमों को भारत और बांग्लादेश जैसे देशों में शरण लेनी पड़ी। रोहिंग्या जम्मू, हैदराबाद, हरियाणा, यूपी, दिल्ली-एनसीआर में रहते हैं। 

सुप्रीम कोर्ट में रोहिंग्या शरणार्थियों की तरफ से दायर एक पिटीशन में मो. सलीमुल्लाह और मो. शाकिर ने कहा कि रोहिंग्या मुस्लिमों का प्रस्तावित निष्कासन संविधान आर्टिकल 14(समानता का अधिकार) और आर्टिकल 21 (जीवन और निजी स्वतंत्रता का अधिकार) के खिलाफ है। इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 11 सितंबर को होनी है।

कौन हैं रोहिंग्या?
इतिहासकारों के मुताबिक, रोहिंग्या म्यांमार में 12वीं सदी से रहते आ रहे मुस्लिम हैं। अराकान रोहिंग्या नेशनल ऑर्गनाइजेशन ने कहा, "रोहिंग्या हमेशा अराकान में रहते आए हैं। ह्यूमन राइट वाच के मुताबिक, 1824-1948 तक ब्रिटिश रूल के दौरान भारत और बांग्लादेश से प्रवासी मजदूर म्यांमार में गए, क्योंकि ब्रिटिश एडमिनिस्ट्रेटर्स के मुताबिक म्यांमार भारत का हिस्सा था इसलिए ये प्रवासी देश के ही माने जाएंगे।

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