पटवारियों की हड़ताल को तहसीलदार और नायब तहसीलदारों का समर्थन | WEB GIS

ग्वालियर। वेब जीआईएस के विरोध में पटवारी संघ 10 अप्रैल से हड़ताल कर रहा है। उनको समर्थन देते हुए तहसीलदार और नायब तहसीलदार भी अब वेब जीआईएस का उपयोग नहीं करेंगे। राजस्व अभिलेखों के संधारण और अपडेशन के लिए नवनिर्मित वेब जीआईएस तकनीक में न केवल तकनीकी खामियां हैं बल्कि राजस्व अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए जोखिम भरा कार्य भी साबित हो रहा है। सरकारी जमीन को निजी बनाने के लिए सॉफ्टवेर के माध्यम से बड़ी हेराफेरी भी की जा रही है। जिसका खुलासा तहसीलदार उमेश कौरव ने कलेक्टर को लिखे पत्र में किया है।

तहसीलदार ने कलेक्टर को लिखा खत
ग्वालियर जिले के मुरार तहसीलदार अनिल राघव और भितरवार तहसील के तहसीलदार उमेश कौरव ने कलेक्टर को लिख कर दिया है कि इस कंपनी के लोग तहसीलदार का पासवर्ड हैक कर सरकारी जमीन के नंबर निजी लोगो के नाम चढा रहे है। ऐसे प्रकरण पूरे प्रदेश मे है। एमपी मे सरकारी संरक्षण मे जमीन घोटाला किया जा रहा है, जमीन के मामले निजी  कंपनी को सौंपने से किसान ठगे जा रहे हैं| किसानों को हर सर्वे नंबर के 30 रू प्रति सर्वे देने पड़ते है। जबकि पहले 30 रू मे छह सर्वे नंबर मिलते थे|

600 करोड़ का प्रोजेक्ट, 32  जिलों में लागू
मई 2015 मे तत्कालीन आयुक्त भूअभिलेख राजीवरंजन के कार्यकाल मे पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ग्वालियर, भोपाल,इन्दौर, शिवपुरी मे वेब जीआईएस का उपयोग शुरू हुआ था। यह 600 करोड़ का प्रोजेक्ट है जो वर्तमान मे प्रदेश के 32 जिलो मे लागू है| लेकिन गड़बड़ियां सामने आने के बाद पटवारियों इसका खुला विरोध किया है और तहसीलदारों ने भी इस पर काम करना बंद कर दिया है|       

सरकारी जमीन कब्जाने की कोशिश
कलेक्टर को लिखे गए तहसीलदार पत्र में जमीनों के मामले में बड़ी हेराफेरी सामने आई है| कंपनी के लोगों द्वारा तहसीलदार का पासवर्ड हैक कर सरकारी जमीन के नंबर निजी लोगों के नाम पर चढ़ा रहे हैं| जमीन कब्जाने का काम गुपचुप चल रहा है| प्रदेश भर में जमीन घोटाले हुए हैं| जिसकी गूँज विधानसभा में सुनाई दी थी| बसपा विधायक ऊषा चौधरी ने सतना जिले की रघुराजनगर तहसील क्षेत्र में बेशकीमती सरकारी भूमि अनियमितताएं करके निजी लोगों के नाम करने का मामला उठाया था और इस मसले पर सरकार के उत्तर पर असंतोष जताते हुए बहिर्गमन कर दिया था ।  चौधरी ने मामला उठाते हुए कहा था कि 1600 एकड सरकारी भूमि का घोटाला किया गया है। सरकारी जमीन को निजी प्रभावी लोगों के नाम कर दिया गया है। शिकायत आने पर मात्र एक आरोपी की गिरफ्तारी हुयी है। जिसके जवाब में राजस्व मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा था कि मामले में चार आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं। एक अन्य आरोपी ने अदालत से स्टे ले लिया है। इस वजह से उसकी गिरफ्तारी नहीं हो पायी है। इसके अलावा संबंधित जमीन वापस सरकारी रिकार्ड में दर्ज हो गयी है। 

ढेरों प्रकरण आये पर नहीं हुई कार्रवाई
प्रदेश भर में सॉफ्टवेयर के माध्यम से जमीनों की हेराफेरी की गई है। अकेले ग्वालियर मे सरकारी जमीनो को निजी करने के 67 प्रकरण आ चुके है । पचौरा ग्राम मे जेबी मंघाराम को सीलिग मे मिली 110 बीघा जमीन निजी लोगो के नाम कर दी गयी। जिसमे कोई कारवाई नही हुई| ग्वालियर मे 303 प्रकरण और आये हैं जिनमे सरकारी जमीन निजी हो गयी।

ग्वालियर जिले के चीनोर तहसील के ग्राम पचौरा में करीब 7  में चढ़ा दी गई, बल्कि 6 अ लग-अलग लोगों के नाम बंटाकन तक कर दिया गया था। चीनोर के ग्राम पचौरा में सर्वे नंबर 236 जिसका रकबा 110 बीघा है, वह 30 दिसंबर 2016 तक खसरों में शासकीय दर्ज था, लेकिन 15 जनवरी 2017 को सर्वे नंबर 236 की जमीन पर निजी लोगों के नाम चढ़ा दिए गए। वेब जीआईएस सॉफ्टवेयर का लॉगिन और आईडी-पासवर्ड चीनोर तहसीलदार के नाम था । तहसीलदार का लागिन आईडी खोलकर निजी लोगों के नाम सरकारी जमीन खसरों व नक्शों में चढ़ाई गई। इसके साथ ही सर्वे नंबर 236 का बटांकन तक करके मल सिंह, कमलजीत कौर, राजेन्द्र सिंह, जसवंत सिंह, मंजीत कौर, पवनदीप सिंह के नाम टुकड़ों में 110 बीघा जमीन बांट दी गई थी |  ग्वालियर के महलगाव सर्किल की पहाड़ के रूप मे दर्ज 115 बीघा जमीन नकटूलाल पुत्र देवलाल गुर्जर के नाम हो गयी| जमीनों घोटाले को बड़े ही गुपचुप तरीके से संचालित किया जा रहा है लेकिन पटवारी और तहसीलदारों के विरोध ने इस बड़े घोटाले की पोल खोल दी है।

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