जबलपुर। देश के प्रधानमंत्री बनने के पूर्व नरेन्द्र मोदी द्वारा दिया गया कांग्रेस मुुक्त भारत का नारा लगभग साकार होता नजर आ रहा है। वर्तमान में जितने भी कांग्रेसी नेताओं, विधायकों एवं सांसदों ने पार्टी से इस्तीफा देकर दूसरी राजनैतिक पार्टियों का दामन संभाला है, इसके पीछे सिर्फ एक ही वजह बताई जा रही है। लगभग 90 फीसदी कांग्रेस छोड़कर गये नेताओं ने कहा कि उनके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी जिनके हाथों में कांग्रेस की कमान है, वह अपने ही कार्यकर्ताओं और नेताओं को मिलने का समय नहीं दे पाते जिससे पार्टी आज रसातल की ओर जा रही है। कमोवेश ऐंसी ही स्थिति इन दिनों मध्यप्रदेश में दिखाई दे रही है। जहां कांग्रेस पार्टी के लगभग 32 विधायकों ने विगत 5 माह से राहुल गांधी के कार्यालय में उनसे मिलने की अर्जी लगा रखी है, लेकिन अभी तक उनको समय नहीं मिल पाया है। जिससे विधायकों में आक्रोश नजर आ रहा है। इन विधायकों में महाकौशल क्षेत्र के कुछ कांग्रेसी विधायक भी शामिल हैं।
गौरतलब हो कि मप्र में विधानसभा चुनाव को मात्र डेढ़ वर्ष बचे हुये हैं। इन डेढ़ वर्षों में वर्तमान कांग्रेसी विधायक अपने हाईकमान से मिलकर कुछ बातें करना चाहते हैं। इसके लिये उन्होंने दिल्ली दरबार में अपनी अर्जी लगा रखी है। 5 माह व्यतीत हो जाने के पश्चात भी उनको अभी तक मिलने के लिये राहुल गांधी से हरी झंडी नहीं मिल पाई है। जिससे विधायक दुखी नजर आ रहे हैं। इन विधायकों की पीड़ा यह है कि इन्होंने अपने प्रदेश अध्यक्ष से भी इस बात के लिये अवगत कराया है, कि वह हाईकमान से मिलना चाहते हैं परंतु अभी तक बात बनती दिखाई नहीं दे रही है।
फिर न मचे भगदड़
सूत्रों का कहना है कि जिस प्रकार कांग्रेस आलाकमान अपने विधायकों एवं नेताओं से दूरी बनाकर रखे हुये है, उससे यह प्रतीत होने लगा कि कहीं कांग्रेस में चुनाव पूर्व फिर से भगदड़ न मच जाये। जैंसा कि प्रत्येक चुनाव में होता आ रहा है। ज्ञातव्य हो कि वर्तमान में कांग्रेस के जितने भी विधायक विधानसभा में बैठे हैं वह अपनी तरफ से पार्टी में जान फूके हुये है, लेकिन उनके ही वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी उन्हे बैचेन कर रही है।